Covid-19: कोरोना का कहर! फिरोजाबाद शहर में संक्रमित व्‍यक्ति की मौत के बाद भी स्‍वास्‍थ्‍य विभाग में व्यवस्‍था लचर  

Covid-19 : आगरा के पास फिरोजाबाद शहर में एक मरीज की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। लेकिन संक्रमित व्‍यक्ति के मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग में कोई हलचल नहीं हुई है। यहां तक की अभी तक जांच केंद्र और आइसोलेशन वार्ड तक नहीं बनाए गए हैं। जानकारी के मुताबिक, सीएमओ का कहना है कि कोई गाइड लाइन नहीं आई है। एहतियात बरती जा रही है।

स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां लचर

हम आपको बता दें कि प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद, जालौन के बाद फिरोजाबाद शहर में संक्रमित की मौत से कोरोना के फैलने का खतरा बढ़ने लगा है। वहीं अब आगरा में पहला संक्रमित केस मिलने के बाद व्‍य‍क्ति के मौत भी हो गई लेकिन स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां एकदम लचर हैं। महामारी के दौरान एसएन मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्रों पर आइसोलेशन वार्ड बनाए गए थे।

जुकाम, बुखार के मरीजों के लिए फ्लू वार्ड हुआ शुरू

जानकारी के दौरान कोरोना संक्रमण की जांच की सुविधा एसएन अस्पताल के वायरोलॉजी लैब में उपलब्ध है। हम आपको बता दें कि अभी तक कहीं भी अलग से कोरोना संक्रमण की जांच के केंद्र नहीं बनाए गए हैं। इस दौरान सामान्य लक्षण होने पर मरीज जांच भी नहीं करा पाएंगे। वहीं ओपीडी में आने वाले खांसी, जुकाम, बुखार के मरीजों के लिए फ्लू वार्ड भी शुरू किया गया है।

एसएन मेडिकल कॉलेज में कराएं जांच

जांच के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है यदि किसी व्‍यक्ति को लक्षण महसूस हों तो उन्हें एसएन मेडिकल कॉलेज जाकर जांच करानी चाहिए। सीएमओ अरुण श्रीवास्तव का कहना है कि फिरोजाबाद शहर के अस्‍पताल में कोरोना संक्रमित मरीज मिलने के बाद अब हर अस्पतालों में एहतियात बरती जाएगी और कड़ी व्‍यवस्‍था की सुविधा की जाएगी।

डब्ल्यूएचओ भी हुआ अलर्ट

जानकारी के मुताबिक, कोरोना के दोनों सब-वैरिएंट्स NB.1.8.1 और LF.7 के मामले भारत देश सहित कई देशों में काफी तेजी से बढ़े हैं, भारत में जनसंख्‍या ज्‍यादा होने के कारण भारतीय आबादी में भी संक्रमण में तेजी से उछाल आया है। इस प्रकार बढ़ते जोखिमों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अब NB.1.8.1 को वैरिएंट ऑफ मॉनिटरिंग के रूप में वर्गीकृत कर दिया है।

वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट में हुए परिवर्तन और प्रभाव

जानकारी के अनुसार वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के दौरान वायरस में हुए परिवर्तन और इसके प्रभाव को समझने की कोशिश की जाती है, इस वर्गीकरण का मतलब होता है कि वैरिएंट ज्यादा चिंताजनक नहीं है।

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