Bihar: बिहार चुनाव को लेकर भारत निर्वाचन आयोग के आदेश पर वोटर लिस्ट रिवीजन का काम किया जा रहा है. वोटरों को वोट से वंचित करने का आरोप लगाकर विपक्ष चुनाव आयोग पर सवाल खड़े कर रहा है. चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची में छेड़छाड़ के उन आरोपों का खंडन किया है.
बिहार में एसआईआर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में आयोग ने कहा कि वह मतदाता सूची से फर्जी मतदाताओं को हटाने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभा रहा है, जिससे मतदाताओं को कोई दिक्कत नहीं है.
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
आयोग ने कहा है कि इस प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाएं वक्त से पहले दायर की गई हैं और फिलहाल इन पर विचार करने की जरूरत नहीं है. आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में कहा है कि कुछ राजनीतिक दलों ने ये बात छिपा दी कि खुद उनकी पार्टी इस प्रक्रिया में हिस्सा ले रही हैं और BLO के जरिए सहयोग कर रही है.
इस हलफनामे में चुनाव आयोग ने आधार कार्ड को लेकर स्थिति साफ की है. आयोग ने कहा है कि आधार कार्ड उन 11 दस्तावेजों में शामिल नहीं है जो वोटर लिस्ट में शामिल होने के लिए जरूरी हैं. हालांकि दूसरे दस्तावेजों के साथ इसे सपोर्ट के तौर में शामिल किया जा सकता है. साथ ही आयोग ने कहा कि नब्बे फीसदी से ज्यादा ने फार्म जमा करवा दिये हैं और 18 जुलाई तक केवल पांच फीसदी ही ऐसे थे जिन्होंनें फार्म जमा नहीं करवाए.
अगर किसी का नाम चुनावी लिस्ट में नहीं है तो क्या होगा?
हालांकि, चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट करते हुए कहा है कि अगर किसी का नाम वोटर लिस्ट में नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसकी नागरिकता खत्म हो जाएगी. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है. इसमें उन्होंने कहा है कि विशेष गहन पुनरीक्षण करने में किसी भी तरह के कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है.
7.11 लोगों ने जाम किए फॉर्म
अब तक बिहार में कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से करीब 7.11 करोड़ लोगों ने फॉर्म जमा कर दिए हैं. यह संख्या कुल मतदाताओं का 90.12% है. मर चुके, दूसरे स्थान पर शिफ्ट हो चुके और दो जगहों पर नाम दर्ज लोगों को मिलाकर यह कवरेज 94.68% तक पहुंच गई है. केवल 0.01% लोग ही हैं, जिन्हें कई बार की कोशिश के बाद भी नहीं खोजा जा सका. 18 जुलाई 2025 तक केवल 5.2% मतदाता बचे हैं जिन्होंने अब तक फॉर्म नहीं भरा है.
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