Budhwa Mangal Holi: होली के बाद क्‍यों मनाया जाता है ‘बुढ़वा होली’, जानिए कैसे हुई थी इसकी शुरुआत  

Budhwa Mangal Holi: देशभर में रंगों के त्‍योहार होली के उमंग के भी कई रंग है. कहीं रंग बिरंगे अबीर गुलाल से होली खेली जाती है तो कहीं छाता पटोरी होली, कहीं कुर्ता फाड़ तो कहीं अंग का धुड़खेल. ऐस में मगध में ‘बुढ़वा होली’ का जशन मनाया जाता है. बता दें कि कई जगहों पर ‘बुढ़वा होली’ को बुढ़वा मंगल होली के नाम से भी जाना जाता है.

Budhwa Mangal Holi के पीछे की कहानी

आमतौर पर रंग, उमंग और हुड़दंग वाले इस त्‍योहार को युवाओं से जोड़कर देखा जाता है. लेकिन बिहार के मगध में बुढ़वा मंगल होली मनाई जाती है. इस होली में समाज के बुजुर्गों को सम्मान देने की रिवायत है. आपने गौर किया होगा की समाज में जब भी किसी प्रथा की शुरुआत होती है तो उसके पीछे कोई न कोई परंपरा, मान्‍यता या कोई कहानी अवश्‍य ही होती है. जो लोगों को इन परंपराओं से बांधे रहती है. ऐसे में चलिए जानते है बुढ़वा मंगल होली के कहानी या परंपरा के बारे में…

Budhwa Mangal Holi: मगध में नही मनी होली

आपको बता दें कि बुढ़वा मंगल होली की शुरुआत के पीछे एक बूढे राजा की कहानी है. एक समय मगध में एक दयालु और बूढ़ा राजा था. वह प्रजा के दुखदर्द में साथ रहते थे. राज्य का खजाना हमेशा उनके लिए खुला रहता था. एक बार ठीक होली के दिन ही मगध के राजा बीमार हो गए. उनके बीमारी की खबर जब उनके प्रजा को हुई तो सबने होली मनाने से इंकार कर दिया और राजा के स्‍वस्‍थ होने की कामना करने लगे. तभी लोगों की दुआओं का असर हुआ और राजा अगले ही दिन पूरी तरह ठीक हो गए.

Budhwa Mangal Holi: अगले दिन होली मनाने का ऐलान

बूढ़े राजा के ठीक हाने की खबर सुनते ही प्रजा में खुशी की लहर दौड़ गई. वहीं, जब राजा को इस बात के बारे में पता चला की उनके बीमार होने की वजह से सबसे होली का त्योहार नहीं मनाया तो वह बहुत दुखी हुए. इसके बाद ही राजा ने अगले दिन होली मनाने का ऐलान कर दिया. कहा जाता है कि तभी से ही बुढ़वा मंगल होली मनाई जाने लगी.

Budhwa Mangal Holi: पुरानों में भी बुढ़वा होली

इसके अलावा, एक ये भी मान्‍यता है कि एक बार भगवान विष्णु-महालक्ष्मी संग होली खेल रहे थे. वहीं कैलाश पर सन्नाटा छाया हुआ था. यह बात नारद मुनि को नहीं सुहाया और वह नारायण-नारायण करते कैलाश पहुंच गए. वहां उन्होंने इसकी चर्चा भगवान भोलेनाथ से की. बता दें कि बिहार में भगवान शिव को बुढ़वा भगवान यानि सबसे पुराना भगवान भी कहा जाता है. नारद मुनि की बात सुनकर भगवान शिव ने कहा कि आने वाले मंगल के दिन वह होली मनाएंगे. और तभी से बुढ़वा मंगल होली की शुरुआत हो गई.

इसे भी पढ़े:-Holi 2024: नवविवाहिता मायके में क्यों मनाती है पहली होली? जानिए क्‍या हैं इसके पीछे की मान्यताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *