Orphanage : भारत में बीते समय में बच्चों को गोद लेने की संख्या में शानदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2015-16 के दौरान गोद लिए बच्चों की संख्या 3,677 से बढ़कर 2018-19 में 4,027 हो गई है। जानकारी के अनुसार इसमें कोविड-19 के दौरान थोड़ी गिरावट आई, इसी को देखते हुए 2024-25 में रिकॉर्ड तोड़ते ह़ए बच्चों को गोद ली गई संख्या 4,515 हो गई। यह बीते एक दशक में सबसे अधिक संख्या है। इस साल में अब तक 420 बच्चे अनाथ श्रेणी से गोद लिए जा चुके हैं।
किशोर न्याय अधिनियम के तहत दिया गया प्रक्रिया को अंजाम
भारत की गोद लेने की व्यवस्था का जिम्मा 35 दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसियां (सारा), 719 विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियां,757 जिलाधिकारी, 714 मुख्य चिकित्सा अधिकारी और 760 जिला बाल संरक्षण इकाइयां (डीसीपीयू) संभालते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, भारत 44 केंद्रीय प्राधिकरणों के अनुसार, 21 भारतीय राजनयिक मिशनों और 65 मान्यता प्राप्त हुई है, इसी दौरान विदेशी गोद लेने वाली एजेंसियों के साथ काम कर रहा है।
कुछ बच्चों को बालिग होते ही कानूनी तौर पर लिया गोद
भारत में बच्चो को गोद लिए जाने वाले आंकड़ों की यंख्या अधिक है। वहीं इंसानियत और प्यार की भी खूबसूरत मिसालें हैं, जहां अनाथ बच्चों को परिवार नसीब हुआ और आज वे सुखी जीवन व्यतीत कर रहे है़ और माता:पिता के रूप में परिवार भी प्राप्त हुआ। मिजोरम में एक लड़की को उसके सौतेले पिता ने वक्त रहते ही जरूरी कार्रवाई की और छत्रछाया में लिया।
245 नई एजेंसियों का जुड़ाव
अधिकारियों ने बताया है कि अब तक सबसे बड़ी चुनौती बच्चों और उन्हें अपनाने की इच्छा रखने वालों के बीच की दूरी रही है। लेकिन 2023-24 में इसमें बड़ा सुधार हुआ। कई वर्षों से संस्थानों में रह रहे 8,500 से अधिक बच्चों को गोद लेने के लिए मुहैया कराया गया। साथ ही, कारा के नेटवर्क में 245 नई एजेंसियों को जोड़ा गया। सबसे अहम बात यह है कि लोगों का नजरिया बदल रहा है। गोद लेना अब कोई असामान्य फैसला नहीं रहा, बल्कि यह एक सामान्य और स्वीकार्य विकल्प बनता जा रहा है।
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