CJI सूर्यकांत ने पहले दिन की 17 मामलों की सुनवाई, अर्जेंट लिस्टिंग पर भी लिया फैसला

SC: सुप्रीम कोर्ट के 53वें चीफ जस्टिस के रूप में अपने पहले दिन जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को 17 मामलों की सुनवाई की. साथ ही उन्होंने कहा कि केस को जल्दी सुनवाई के लिए लिस्ट करने की मांग अब लिखित रूप से करनी होगी. उन्होंने कहा कि मौखिक अनुरोध सिर्फ ‘असाधारण परिस्थितियों’ में ही मान्य होंगे, जैसे मौत की सजा या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में.

जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने मुख्य न्यायाधीश के तौर पर अपने पहले दिन करीब 2 घंटे तक चली कार्रवाई में 17 मामलों की सुनवाई की. इससे पहले जस्टिस सूर्यकांत ने राष्ट्रपति भवन में भगवान के नाम पर हिंदी भाषा में शपथ लेने के तुरंत बाद देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर चार्ज संभाल लिया.

दोपहर करीब 12 बजे शुरू हुई थी कार्यवाही

बता दें कि जस्टिस सूर्यकांत ने राष्ट्रपति भवन में हिंदी में ईश्वर के नाम पर शपथ ली और औपचारिक रूप से CJI का पद संभाला. सुबह सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर उन्होंने अदालत परिसर में महात्मा गांधी और डॉ. बी.आर. अंबेडकर की मूर्तियों पर फूल चढ़ाए. फिर वे हेरिटेज कोर्टरूम नंबर एक में तीन जजों की बेंच की अध्यक्षता करने बैठे, जिसमें जस्टिस जोयमल्या बागची और जस्टिस अतुल एस. चंदूरकर भी शामिल थे. दोपहर करीब 12 बजे कार्यवाही शुरू हुई. सबसे पहले CJI ने हिमाचल प्रदेश की एक प्राइवेट फर्म के खिलाफ फाइल की गई याचिका पर फैसला सुनाया.

क्या लिया गया अर्जेंट लिस्टिंग पर फैसला?

काम शुरू करते हुए, नए CJI ने साफ किया कि ‘एक्स्ट्राऑर्डिनरी’ सिचुएशन को छोड़कर, अर्जेंट लिस्टिंग के लिए रिक्वेस्ट ओरल मेंशनिंग के बजाय मेंशनिंग स्लिप के जरिए लिखकर की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘अगर आपके पास कोई अर्जेंट मेंशनिंग है, तो अर्जेंटी का कारण बताते हुए अपनी मेंशनिंग स्लिप दें; रजिस्ट्रार जांच करेंगे और उन मामलों में, अगर हमें अर्जेंटी का कोई एलिमेंट मिलता है, तो उस पर विचार करेंगे.’ जब वकील ने मामले में अर्जेंट होने पर जोर दिया, तो जस्टिस कांत ने कहा, ‘जब तक कोई खास हालात न हों, जब किसी की आजादी का सवाल हो, मौत की सजा वगैरह का सवाल हो, तभी मैं इसे लिस्ट करूंगा. नहीं तो, प्लीज मेंशन करें… रजिस्ट्री फैसला करेगी और मामले को लिस्ट करेगी.’

युवा वकील से CJI सूर्यकांत ने क्या कहा?

CJI ने एक सीनियर एडवोकेट की तरफ से स्थगन मांग रहे एक जूनियर वकील को भी प्रोत्साहित किया. उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ‘इस मौके का फायदा उठाकर आपको बहस करनी चाहिए. अगर आप बहस करेंगे, तो हम थोड़ी छूट दे सकते हैं.’ लेकिन जूनियर वकील ने इनकार कर दिया और कहा कि उनके पास बहस करने के निर्देश नहीं हैं. 

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