मान लो तो हार है ठान लो तो जीत है…आपके जीवन को आसान बना देंगे गुरु तेग बहादुर के ये अनमोल विचार

Delhi: सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर की आज 350वीं शहादत शताब्दी मनाई जा रही है. दिल्ली सरकार ने गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत पर्व की स्मृति पर मंगलवार को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है. आस्था और सम्मान की रक्षा के लिए गुरु के बेमिसाल बलिदान को पूरे देश में श्रद्धा के साथ याद किया जा रहा है. 25 नवंबर पर पहले अवकाश था, लेकिन बाद में इसे पूरी तरह पब्लिक हॉलिडे घोषित कर दिया गया, जिससे लोग कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकें और गुरु तेग बहादुर की विरासत को श्रद्धांजलि दे सकें.

दिल्ली में सभी स्कूल बंद 

सबसे पहले दिल्ली सरकार ने घोषणा की कि 25 नवंबर 2025 को सभी सरकारी और निजी स्कूल बंद रहेंगे. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह अवकाश गुरु तेग बहादुर साहिब के महान बलिदान को सम्मान देने के लिए है, ताकि छात्रों को इस ऐतिहासिक अवसर के बारे में जानने और जुड़ने का मौका मिल सके. चंडीगढ़ प्रशासन ने भी इसी दिन को स्कूलों की छुट्टी के रूप में तय किया है. यहां के सभी सरकारी और निजी स्कूल 25 नवंबर को बंद रहेंगे. प्रशासन ने सलाह दी है कि माता-पिता अपने स्कूलों द्वारा जारी नोटिस पर ध्यान रखें.  वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस वर्ष छुट्टी को 24 नवंबर से बदलकर 25 नवंबर कर दिया है. 

शहीदी दिवस पर कहां-कहां छुट्टी?

शहीदी दिवस के मौके पर दिल्ली, यूपी, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में स्कूलों की छुट्टी रखी गई है. इन तमाम राज्यों में शहीदी दिवस को काफी सम्मान के साथ मनाया जाता है और कुछ जगहों पर इसे लेकर कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं. शहीदी दिवस की छुट्टी पहले 24 नवंबर को थी, लेकिन बाद में कैलेंडर की तारीखों में बदलाव के बाद इसे 25 नवंबर कर दिया गया. 

सिखों के नौवें गुरु

गुरु तेग बहादुर जी का जन्म गुरु हरगोबिंद जी के घर हुआ था और वे उनके सबसे छोटे पुत्र थे. 1665 में वे सिखों के नौवें गुरु बने और अगले दस वर्षों तक समाज, धर्म और सत्य के मार्ग पर लोगों का मार्गदर्शन करते रहे. उन्होंने लोगों को सिखाया कि घमंड, क्रोध और मोह को जीतकर ही जीवन में सच्ची शांति पाई जा सकती है. इस वर्ष गुरु तेग बहादुर का 350वां शहीदी दिवस मनाया जा रहा है.

क्यों कहा जाता है ‘हिंद की चादर’ 

17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा कश्मीरी पंडितों पर जबरन इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव बनाया जा रहा था, जिसका कश्मीरी पंडितों द्वारा विरोध जताया गया. ऐसे में कश्मीरी पंडित गुरु तेग बहादुर से मिले. इस पर गुरु तेग बहादुर ने उनकी तरफ से खड़े होने का भरोसा दिलाया. गुरु तेग बहादुर ने धार्मिक स्वतंत्रता के सिद्धांत पर अडिग रहने की बात कही और जबरन इस्लाम धर्म अपनाने से मना कर दिया. इस पर 1675 में औरंगजेब के आदेश पर दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में गुरु तेग बहादुर को सार्वजनिक रूप से शहीद कर दिया गया. आज इस जगह पर शीश गंज गुरुद्वारा है. उनका यह बलिदान किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म को मानने के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए था. यही वजह है कि उन्हें हिंद की चादर भी कहा जाता है.

यहां पढ़ें गुरु तेग बहादुर के प्रेरणादायक उपदेश
  • गुरु तेग बहादुर का कहना था कि अपने अहंकार पर नियंत्रण रखने वाला व्यक्ति ही सच्ची मुक्ति का अनुभव करता है.
  • सफलता कभी अंतिम नहीं होती, विफलता कभी घातक नहीं होती, इनमें जो मायने रखता है वो है साहस.
  • गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, अगर आपके पास उन्हें स्वीकार करने का साहस हो.
  • प्यार पर एक और बार और हमेशा एक और बार यकीन करने का साहस रखिए.
  • हर जीव के प्रति दया और प्रेम का भाव रखना चाहिए, क्योंकि नफरत केवल विनाश का कारण बनती है.
  • ईश्वर बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि हमारे भीतर निवास करता है, जैसे फूल में सुगंध या दर्पण में प्रतिबिंब.
  • गुरु जी का मानना था कि भय मन की उपज है, जो व्यक्ति अपने विचारों और मन को नियंत्रित कर लेता है, वही जीत और हार दोनों पर अधिकार रख सकता है.
  • क सज्जन व्यक्ति वह है जो अनजाने में किसी की भावनाओ को ठेस ना पहुंचाएं.
  • हार और जीत यह आपकी सोच पर ही निर्भर है, मान लो तो हार है ठान लो तो जीत है.
  • भय केवल हमारे दिमाग में होता है इसलिए उसे जीतने के लिए अपने मन को नियंत्रित करें. हार और जीत आपकी सोच पर निर्भर करती है, इसलिए आशावादी रहें.

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