Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को निर्देश दिया कि वे तीन हफ्तों के भीतर वायु प्रदूषण से निपटने की योजना पेश करें. सुप्रीम कोर्ट ने यह योजना सर्दियों के मौसम की शुरुआत से पहले मांगी है, जब प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में रिक्तियों को लेकर भी नाराजगी जाहिर की और राज्यों की खिंचाई.
लंबे समय से खाली पदों पर कोर्ट का सवाल
सुनवाई के दौरान अदालत ने एक और गंभीर मुद्दे की ओर ध्यान दिलाया, प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में मानव संसाधन की भारी कमी. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों को निर्देश दिया है कि वे तीन महीने के भीतर अपने-अपने प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में खाली पदों को भरें. साथ ही CAQM और CPCB को भी अपनी संस्थाओं में लंबित नियुक्तियां करने का आदेश दिया गया है. हालांकि कोर्ट ने यह छूट दी कि पदोन्नति से जुड़े पदों को भरने के लिए छह महीने तक का समय दिया जा सकता है.
राज्यों को लगाई कड़ी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण पर राज्यों को फटकार लगाई है. पिछले सालों में पराली जलाने पर जुर्माना वसूली और बायो-डिकंपोजर जैसे उपायों को लागू करने में राज्यों की ढिलाई पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी. विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने से 30-40 फीसदी प्रदूषण होता है और वैकल्पिक प्रबंधन जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट का यह कदम प्रदूषण के खिलाफ कड़ा संदेश है, लेकिन बिना केंद्र-राज्य समन्वय और राजनीतिक इच्छाशक्ति के बदलाव मुश्किल है. अगली सुनवाई में राज्यों को जवाब देना होगा, वरना सख्त कार्रवाई हो सकती है.
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