मनुष्य कर्म करने में है स्वतंत्र: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्या मोरारी बापू ने कहा कि सद्गुरु- जब तक यह आइना साफ नहीं है तब तक ईश्वर की तस्वीर देखना मुश्किल है। श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज कहते हैं- मुकुर मलिन अरु नयन बिहीना। राम रूप देखेहिं  किमि दीना। मुकुर मलिन हो और जो नयन विहीन हो वह बेचारा रामरूप का दर्शन कैसे कर सकता है? इसलिये इस दर्पण को साफ करें, सद्गुरु के चरणारविन्द की रज से। हृदय का दर्पण- जब तक महापुरुषों के चरणारविन्द रज का हमारे मस्तक पर अभिषेक नहीं होता, तब-तक अज्ञान नहीं मिटता, चाहे लाख यत्न करे, कोई तो सतगुरु के चरणारविन्द की रज से ही यह रज साफ होगी और जैसे ही दर्पण साफ हो जाये चित्त का, सदगुरु की सेवा से, सदगुरु के उपदेश से ज्ञान प्रगट होता है। फिर जिज्ञासा से प्रश्न करो, सत्कर्म करो, सेवा करो, इससे चित शुद्ध होता है, इससे मन रूपी मुकुर साफ होता है और दिल का दर्पण साफ हो जाये तो- श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि। बाहर जाना कहां है? मन ही तो दर्पण है न? सावधान कर्म करते वक्त व्यक्ति को सावधानी बरतनी चाहिये क्योंकि कर्म करने में मानव को स्वतंत्र बनाया गया। तू कर्म करने में स्वतंत्र है, चाहे पाप कर्म कर, चाहे पुण्य कर्म कर। मानव जन्म की विशेषता यही है। दूसरी सब प्राणी प्रकृति से प्रेरित कर्म करते हैं जबकि मनुष्य कर्म करने में स्वतंत्र है। कर्मफल- कर्म करने में मनुष्य स्वतंत्र है, लेकिन याद रहे फल पाने में तू स्वतंत्र नहीं, उसमें तो तू परतन्त्र  है। अर्थात् तू जैसा कर्म करेगा उसका वैसा फल तुझे भोगना पड़ेगा। फल मांगना नहीं पड़ेगा, फल मिलेगा। कर्म फल दिये वगर शांत होता ही नहीं है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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