पत्नी, पुत्र और नौकर से सुख चाहता है जीव: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ कथा- (तृतीय दिवस) सानिध्य-श्री घनश्याम दास जी महाराज (पुष्कर-गोवर्धन) कथा व्यास- श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू,कथा स्थल- पदमपुरिया फार्म हाउस, नियर बस स्टैंड सरमथुरा धौलपुर राजस्थान।दिनांक÷ 22-3-2022 से 28-3- 2022 तक। कथा का समय-दोपहर 1:00 से 5:00 तक। सत्संग के अमृत बिंदु-जब तक तृष्णा की खाद से वृक्ष उगते रहेंगे तब तक मानव सुख शांति के फल फूलों को वसुधा पर हस्तगत नहीं कर पायेगा। रावण की लंका सोने की थी लेकिन रामायण में कहीं ऐसा नहीं मिलता कि एक दो तोला का दान रावण ने दिया हो। जीव पत्नी से, पुत्र से नौकर से सुख चाहता है। मगर उसी समय पत्नी, पुत्र, नौकर भी उससे सुख चाहते हैं। सभी मनुष्यों को सुख की गरीबी है। युधिष्ठिर का अर्थ है धर्म। भीम का मतलब है बल, शक्ति। अर्जुन का मतलब है आत्मा। नकुल का मतलब है रूप और सहदेव का मतलब है ज्ञान। युधिष्ठिर के शासन में धर्म हो, ऐसी भगवान् की इच्छा है। हमारे सनातन विचारधारा तो ऐसा मानती है कि करोड़ों रुपयों से बने महल में रहते हो, लाखों रुपयों की कीमती कार में घूमते हो, कीमती वस्त्र और अलंकार पहनते हो, तो भी आप पूरे के पूरे आध्यात्मिक हो सकते हो। शर्त केवल इतनी ही है कि ये सब चीज तुम्हारे लिये नहीं होनी चाहिये। तुम इसके लिए नहीं हो। इतनी सूक्ष्म भेदरेखा अगर हम समझ लें तो व्यक्ति का सारा जीवन परिवर्तित हो सकता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना।
श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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