Cancer: कोलन कैंसर का पता लगाना हुआ आसान, बच सकेगी 90 प्रतिशतरोगियों की जान

Cancer: दुनियाभर में लोगों के मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक कैंसर भी है. इस वजह से हर साल लाखों लोगों की जान जाती है. समय के साथ कैंसर की जांच के लिए आधुनिक उपकरण और कारगर उपचार विधियां तो आई हैं, लेकिन इसपर होने वाले खर्च आम लोगों के लिए असहनीय है. लेकिन अब कैंसर के पता लगाना आसान हो सकता है.

दरअसल, हाल ही में एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि अब कोलोरेक्टल कैंसर का पता लगाना साधारण रक्त परीक्षण जितना आसान होने वाला है. अर्थात किसी व्‍यक्ति के ब्‍लड टेस्‍ट से इस जानलेवा स्थिति के बारे में पता लगाया जा सकता है.

Cancer: ब्लड टेस्ट से चलेगा कैंसर का पता

इस अध्ययन के परिणाम में बताया गया है कि कोलन कैंसर के अब तक के स्क्रीनिंग के लिए स्टूल सैंपल लिए जाते रहे हैं, जिसमें घर पर शौच का सैंपल एकत्र करना, उसे जांच के लिए भेजना और कोलोनोस्कोपी के लिए बेहोशी जैसी प्रक्रिया इसके निदान को कठिन बना देती है. जिसके कारण कई लोगों को इस बीमारी के बारे में पता भी नहीं चल पाता है, हालांकि अब केवल ब्लड सैंपल से ही इस बीमारी के बारे में पता लगाकर उसका इलाज किया जा सकेगा.

शोधकर्ताओं के मुताबिक, यदि अमेरिका में हर किसी की नियमित रूप से जांच की जाए, तो कोलोरेक्टल कैंसर से जुड़ी 90 फीसदी मौतों को टाला जा सकता है. यह टेस्ट इस दिशा में काफी हद तक मददगार साबित हो सकती है.

Cancer: कैसे काम करती है ब्लड टेस्टिंग?

वैज्ञानिकों के अनुसार, इस खास प्रकार के रक्त परीक्षण से ट्यूमर से रक्त प्रवाह में रिलीज किए गए डीएनए का पता लगाया जा सकता है. अब तक करीब 7,800 से अधिक लोगों के परीक्षण में इस नए टेस्ट को 87 प्रतिशत सटीक पाया गया है.

Cancer: दूसरे टेस्टों की तुलना में आसान और कारगर

शोधकर्ताओं ने बताया कि अब तब स्टूल टेस्ट से कोलन कैंसर का जल्दी पता लगाने की दर करीब 42% जबकि और कोलोनोस्कोपी की दर लगभग 93% तक सटीक रही है. ब्लड टेस्ट इन सभी प्रक्रियाओं से आसान और कारगर साबित हो सकता है. वहीं, अमेरिकन गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिकल एसोसिएशन का कहना है कि ब्लड टेस्टिंग से कैंसर का पता लगाना एक अतिरिक्त तरीका हो सकता है, लेकिन इसे कोलोनोस्कोपी का ऑप्‍शन नहीं माना जा सकता है.

Cancer: कैंसर स्क्रीनिंग की गाइडलाइन

आपको बता दें कि वर्तमान स्क्रीनिंग दिशानिर्देशों के अनुसार औसत जोखिम वाले लोगों के लिए हर 10 साल में कोलोनोस्कोपी या वार्षिक स्टूल टेस्ट अवश्‍य ही करवाना चाहिए. रिपोर्ट के मुताबिक, इस नए रक्त परीक्षण की हर 3 साल में जरूरत हो सकती है. रिपोर्ट्स की मानें तो इसी साल एफडीए द्वारा इस टेस्ट को स्वीकृति प्रदान की जाने की संभावना है. इस टेस्ट के आने से वक्‍त रहते कैंसर के निदान में विशेष लाभ मिलने की उम्मीद है.

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