किस तबके पर है महंगाई का सबसे अधिक प्रभाव

नई दिल्ली। देश में लगातार बढ़ रही महंगाई से सब त्रस्त है लेकिन सच्चाई यह है कि भारत में महंगाई की मार हमेशा एक विशेष तबके पर ही पड़ी है और उसे ही झेलनी पड़ती है। पहले लाकडाउन से अनगिनत व्यापार व व्यवसाय चौपट हो गए जिसके बाद देखते ही देखते बड़ी संख्या में लोग एकाएक गरीब हो गए। बाद में रही सही कसर दो सालों में करोना के पड़े व्यापक प्रभाव ने पूरी कर दी। अब रूस यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की विभीषिका के नाम पर अर्थव्यवस्था तबाह हो रही है।

सवाल यह है कि इन सबके बीच देश के मध्यम वर्ग की राहत के लिए कौन सोचेगा। मध्यम वर्ग हमेशा ही पिसता रहता है। पहले गरीब तब का महंगाई का शिकार होता था। अब सबसे ज्‍यादा असर मध्यमवर्ग पर पड़ रहा है। जारी डाटा बताते हैं कि मार्च 2022 में खुदरा महंगाई दर फरवरी 2022 की तुलना में इतनी बढ़ी है कि 16 महीनों के उच्चतम स्तर 6.95% पहुंच गई। फरवरी 20-22 में यही दर 6.07% थी। महंगाई दर वृद्धि की तुलना पिछले साल मार्च से करें तो यह और भी चौंकाने वाला आंकड़ा है। मार्च में खाने-पीने के सामान के दामों में 7.68% की बढ़ोतरी हुई थी जो फरवरी में केवल 5.85% थी। अप्रैल में यह दर 6.35 फीसदी रहा। यह अंतर और आकड़ें खुद ही अपनी कहानी कह रहे हैं।

पिछले चार माह से जिस तरह से पेट्रोल और डीजल के भाव में बढ़ोतरी हो रही है उस पर किसी प्रकार से अंकुश नहीं लग रहा है। एलपीजी, सीएनजी, पीएनजी के दाम बढ़ रहे हैं। इस बढ़ोतरी का असर माल भाड़े पर जबरदस्त रूप से पड़ा और भाड़ा 20 से 25 फीसदी तक बढ़ गया। इन कारणों से खुदरा और थोक बाजार में अनाज, फल और सब्जियों के भाव किसी से छुपा नहीं है। महंगाई का सबसे ज्यादा असर घर की थाली पर पड़ता है। नींबू के दाम ने इस समय जो छलांग लगाई है वह एक इतिहास बन गया है। इसी प्रकार आम दवाइयां बुखार, दर्द निवारक, एंटीबायोटिक की कीमतें भी आसमान चढ़ी है।

इसी तरह की हालत सब्जियों के दाम, दूध, फल और खाद्य सामग्रियों पर भी पड़ा है। लोहे के सरिया, सीमेंट, गिट्टी आदि की कीमत में आश्चर्यजनक उछाल हुए हैं। कुछ समय पहले तक दो कमरे, एक रसोई, एक बाथरूम यानी 111 गज का मकान 10 लाख रुपए में आसानी से बन जाता था अब वह बढ़ कर 15 लाख रुपए तक आ गया है। कुल मिलाकर महंगाई की मार अब सबसे अधिक मध्यम वर्ग पर ही पड़ रही है। उनकी राहत की कौन सोचेगा? महंगाई को कैसे काबू में रखा जाए ? जाहिर है महंगाई बेलगाम घोड़ा है जिसे कभी रोका नहीं जा सकता।

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