Rajnath Singh: 22 साल बाद किसी भारतीय रक्षामंत्री का बिट्रेन दौरा, दोनों देशों में संबंध मजबूत करने पर बनी सहमती

Rajnath Singh: ब्रिटेन दौरे पर गए भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने ब्रिटिश पीएम के आधिकारिक निवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट, लंदन में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से मुलाकात की. मुलाकात के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक को राम दरबार की प्रतिमा उपहारस्वरूप दी. आपको बता दें कि यह किसी भी भारतीय विदेश मंत्री का बीते बीस सालों में यह पहला दौरा है. इस दौरान रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों देशों ने अपने ऐतिहासिक संबंधों को आधुनिक, बहुआयामी और पारस्परिक रूप से लाभप्रद साझेदारी में ढालने में महत्वपूर्ण प्रगति की है. 

Rajnath Singh: दोनों देश संबंध मजबूत करने पर सहमत

राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा कि ब्रिटेन और अन्य समान विचारधारा वाले देशों को शांतिपूर्ण और स्थिर वैश्विक नियम आधारित व्यवस्था को मजबूत करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करना चाहिए और भारत के उत्थान में सहयोगी बन सकते हैं. वहीं, ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक ने भी व्यापार, रक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दोनों देशों के साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई है. साथ ही उन्होंने दोनों देशों के बीच चल रहे मुक्त व्यापार समझौते को सफल निष्कर्ष पर लाने की भी उम्‍मीद जताई है.

भारत को लेकर चीन का भी बदला मिजाज

लंदन के ही एक कार्यक्रम में राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख का उदाहरण देते हुए कहा कि चीन का भी अब भारत को लेकर नजरिया बदल चुका है. चीन, भारत को एक उभरती आर्थिक ताकत और रणनीतिक ताकत के रूप में स्वीकार करता है. राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने इसकी वजह देश के तेज आर्थिक विकास और मजबूत विदेश नीति को दिया. उन्‍होंने ये भी कहा कि गलवान घाटी में हुई भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प के बाद भी चीन का भारत के प्रति रुख बदला है. अब भारत को कमजोर देश नहीं, बल्कि इसे उभरती हुई वैश्विक ताकत के तौर पर देखा जाता है. 

‘भारत को कोई आंख नहीं दिखा सकता’

उन्‍होंने कहा कि ‘अब ऐसा नहीं है कि कि भारत को आंख दिखा के जो चाहे सो निकल जाए. हम किसी को भी दुश्मन देश के तौर पर नहीं देखते, लेकिन दुनिया इस बात से वाकिफ है कि भारत और चीन के रिश्तों में काफी तनाव है. हालांकि हम चाहते हैं कि अपने पड़ोसी देशों और दुनिया के अन्य देशों के साथ दोस्ताना संबंध रखें.’

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