भगवान महावीर का शांति और सद्भावना का संदेश ‘विकसित भारत’ के निर्माण में देश के लिए प्रेरणा: PM Modi

PM Modi on Mahavir Jayanti 2024: हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर महावीर जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है. जैन समुदाय के लोग इस शुभ पल का इंतजार बेसब्री के साथ करते हैं. आज यानी 21 अप्रैल को देशभर में भगवान महावीर की जयंती मनाई जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महावीर जयंती के अवसर पर दिल्‍ली के भारत मंडपम में  2550 वें भगवान महावीर निर्वाण महोत्सव का उद्घाटन किया. साथ ही उन्‍होंने देशवासियों को महावीर जयंती की शुभकामनाएं दी. इस महोत्‍सव के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री ने एक स्‍मारक टिकट और सिक्‍का भी जारी किया. इसे बाद उन्‍होंने अपना संबोधन शुरू किया.

पीएम ने कहा कि भगवान महावीर का शांति और सद्भावना का संदेश ‘विकसित भारत’ के निर्माण में देश के लिए प्रेरणा है. उन्होंने कहा कहा कि भारत मंडपम का ये भव्य भवन आज भगवान महावीर के 2,550वें निर्वाण महोत्सव के आरंभ का साक्षी बन रहा है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान महावीर का ये 2,550वां निर्वाण महोत्सव हजारों वर्ष का एक दुर्लभ अवसर है. ऐसे मौके कई विशेष संयोगों को भी जोड़ते हैं. उन्‍होंने कहा कि यह वो समय है जब भारत अमृतकाल के शुरुआती दौर में है. भगवान महावीर के प्रति युवा पीढ़ी का ये आकर्षण और समर्पण, ये विश्वास पैदा करता है कि देश सही दिशा में जा रहा है.  

‘संघर्ष के बीच फंसी दुनिया को भारत से शांति की उम्मीद’

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज संघर्ष के बीच फंसी दुनिया भारत से शांति की उम्मीद कर रही है. नए भारत की इस नई भूमिका का श्रेय हमारी बढ़ती क्षमता और विदेश नीति को दिया जा रहा है. इसमें देश की सांस्कृतिक छवि का बहुत बड़ा योगदान है. आज भारत इस भूमिका में आया है क्योंकि हम वैश्विक मंचों पर सत्य और अहिंसा को पूरे आत्मविश्वास के साथ सामने रखते हैं. संकट और संघर्ष भारत की प्राचीन संस्कृति, भारत की प्राचीन परंपरा में शामिल है.

मानवता का सुरक्षित ठिकाना है भारत

पीएम मोदी ने कहा कि चुनाव के कठिन समय में ऐसे पवित्र कार्यक्रम में शामिल होना उनके दिल और दिमाग को अत्यंत शांति दे रहा है. उन्होंने कहा कि भारत न केवल विश्व की सबसे प्राचीन जीवित सभ्यता है, बल्कि मानवता का सुरक्षित ठिकाना भी है.

कविता के अंदाज में पीएम मोदी भारत की तरीफ करते हुए कहा कि…

ये भारत ही है, जो… स्वयं के लिए नहीं, सर्वम के लिए सोचता है. स्व की नहीं, सर्वस्व की भावना करता है. अहम नहीं, वहम की सोचता है. इति नहीं, अपरिमित में विश्वास करता है. नीति और नियति की बात करता है. पिंड में ब्रह्मांड की बात करता है. विश्व में ब्रह्म की बात करता है. जीव में शिव की बात करता है.

पीएम ने कहा कि देश के लिए अमृत काल का विचार सिर्फ एक बड़े संकल्प के बारे में नहीं है बल्कि यह हमें अमरता और शाश्वतता का एहसास कराने वाली भारत की आध्यात्मिक प्रेरणा भी है. यह हमारा दूरदर्शी दृष्टिकोण है जो भारत को न केवल सबसे पुरानी जीवित सभ्यता बनाता है बल्कि मानवता के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल भी बनाता है.

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