Supreme court : उच्च न्यायालय के आदेश के न मानने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार के एक अधिकारी को पदावनत करने का आदेश दिया है। जानकारी के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार को यह निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना करने वाले डिप्टी कलेक्टर को पदावनत कर तहसीलदार के पद पर नियुक्ति करें।
हम आपको बता दें कि, उच्च न्यायालय ने आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में झोपड़ियां न हटाने का निर्देश दिया था, लेकिन अधिकारी ऐसा न करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना की। इसी दौरान जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने पर कड़ी नाराजगी जताई। पीठ का कहना है कि प्रत्येक अधिकारी, चाहे वो कितने भी ऊंचे पद पर क्यों न हो, वह अदालत द्वारा पारित आदेशों का सम्मान करने के लिए बाध्य हैं।
डिप्टी कलेक्टर से तहसीलदार बनाने का आदेश
‘शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश की पुष्टि की, जिसमें अधिकारी ने जानबूझकर पूरी तरह से अवज्ञा करने का दोषी पाया गया था। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारी को दो महीने जेल की सजा सुनाने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को संशोधित किया। पीठ का कहना है कि ‘हम सजा को संशोधित कर रहे हैं और याचिकाकर्ता को उसकी सेवा के पदानुक्रम में एक स्तर की कमी करने की सजा सुनाई जाती है।’
अवमानना हेतु एक लाख जुर्माना
उम्मीद किया जाता है कि जिस अधिकारी को पदावनत करने का आदेश दिया गया है, जानकारी के मुताबिक 2023 में तहसीलदार पद से ही डिप्टी कलेक्टर पद पर नियुक्ति दी गई थी। पीठ ने अधिकारी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने का भी आदेश दिया है। न्यायमूर्ति गवई ने आदेश देते हुए कहा, कि पूरे देश को यह संदेश दिया जाए कि अदालत के आदेश की अवमानना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’ इस दौरान जिन अधिकारी को पदावनत किया गया है, उन्होंने ही उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
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