Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि कर्मभूमि- धन, वैभव या अधिकार से शान्ति प्राप्त नहीं होती. वह तो स्नेह, सन्तोष और समता के द्वारा प्रभु-दर्शन से प्राप्त होती है. प्रभु-दर्शन का सुअवसर इस मनुष्य देह में ही मिलता है. पशु या देवता के शरीर से यह लाभ प्राप्त नहीं होता.
पशु को तो ज्ञान नहीं होता है, वह बेचारा कर भी क्या सकता है. किन्तु बुद्धि और पुण्य के वैभव में रचे-पचे स्वर्ग के देवता भी प्रभु-दर्शन के लाभ से वंचित रहते हैं. इसका कारण यह है कि स्वर्ग केवल भोगभूमि है. वहां किए हुए पुण्य या सत्कर्म के फल का चेक ही फाड़ा जा सकता है. नए सत्कर्म करने या नए पुण्य जमा करने के सुअवसर वहां नहीं है. और फिर भारत तो कर्मभूमि है. यहां रहने वाला मानव सत्संग, सत्कर्म या संकीर्तन द्वारा प्रभु को प्राप्त कर सकता है.
इसीलिए, स्वर्ग के देवता भी भारतभूमि में जन्म ग्रहण करने के लिए हमेशा लालायित रहते हैं. जिसके सिर पर भगवान के बजाय अभियान बैठा है, वह बहुत ही दुःखी होता है. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).