SC: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को हेट स्पीच पर सख्त निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषणों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह एक “बड़ा खतरा” बनता जा रहा है जिसे बढ़ने से रोकना होगा. नफरती भाषण पर लगाम लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने कहा है कि नफरत फैलाने वाले भाषणों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इस पर लगाम लगाने के लिए तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए.
जस्टिस विश्वनाथन की कड़ी टिप्पणी
न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने कहा, “हेट स्पीच हमें कहीं नहीं पहुंचाती.” एक तमिल कहावत उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, “आग की चोट भर सकती है, लेकिन शब्दों की नहीं.’’ इस पर अदालत ने स्पष्ट किया कि शब्दों से होने वाली चोट कितनी गहरी और लम्बे समय तक प्रभावशाली हो सकती है.
नफरती भाषणों पर तुरंत लगाएं रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सोशल मीडिया पर फैल रहे नफरती भाषण चिंताजनक हैं और इन पर लगाम लगाने की सख्त जरूरत है. इन दिनों ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के नाम पर सब कुछ जायज ठहराने की कोशिश की जा रही है, जो बेहद खतरनाक है. कोर्ट ने कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषणों से देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को खतरा है और इस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए.
कोर्ट ने मीडिया को भी जमकर फटकार लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे IPC की धारा 153A, 153B, 295A और 505 के तहत स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करें, भले ही कोई शिकायत दर्ज न हो. कोर्ट ने यह भी कहा कि कार्रवाई करने में किसी भी तरह की हिचकिचाहट को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना माना जाएगा. कोर्ट ने मीडिया, खासकर टीवी चैनलों को भी फटकार लगाई है और कहा है कि एंकरों की यह जिम्मेदारी है कि वे नफरत फैलाने वाले भाषणों को रोकें. कोर्ट ने कहा कि सरकार को हेट स्पीच के मुद्दे को तुच्छ नहीं मानना चाहिए और इसे रोकने के लिए एक तंत्र विकसित करना चाहिए.
लोग आत्मसंयम रखें और नियमों का पालन करें: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित दिशानिर्देशों पर विचार करते हुए कहा कि नागरिकों के बीच भाईचारा होना चाहिए. कोर्ट ने कहा, हम सेंसरशिप की बात नहीं कर रहे हैं, हम चाहते हैं कि लोग आत्मसंयम रखें और नियमों का पालन करें. सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से कहा, सोशल मीडिया पर सभी विभाजनकारी प्रवृतियों पर रोक लगानी होगी.
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