New Delhi: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के 100 साल पूरे होने के मौके पर दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में बड़ा कार्यक्रम हुआ. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशेष रूप से डिजाइन किया गया स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया. इस अवसर पर उन्होंने वहां मौजूद लोगों को संबोधित भी किया. पीएम मोदी ने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों ने कभी कटुता नहीं दिखाई. चाहे प्रतिबंध लगे या साजिश हुई हो. इस कार्यक्रम में RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले और दिल्ली की मुख्य मंत्री रेखा गु्प्ता सहित कई अन्य लोग भी शामिल हुए.
विशेष डाक टिकट और सिक्का जारी
पीएम मोदी ने कहा कि भारत सरकार ने विशेष डाक टिकट और स्मृति सिक्के जारी किए हैं. 100 रुपये के सिक्के पर एक ओर राष्ट्रीय चिह्न है और दूसरी ओर सिंह के साथ वरद् मुद्रा में भारत माता की भव्य छवि और समर्पण भाव से उसे नमन करते स्वयंसेवक दिखाई देते हैं. भारतीय मुद्रा पर भारत माता की तस्वीर संभवत स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है. इस सिक्के के ऊपर संघ का बोध वाक्य भी अंकित है-राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम. भारतीय मुद्रा पर भारत माता की तस्वीर संभवत स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है. इस सिक्के के ऊपर संघ का बोध वाक्य भी अंकित है-राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम.
RSS की स्थापना के 100 साल पूरे
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी खुद लंबे समय तक RSS के प्रचारक रहे हैं और बीजेपी में आने से पहले उन्होंने RSS के लिए काफी काम किया है. आज भी बीजेपी अपनी वैचारिक प्रेरणा RSS से लेती है. आरएसएस की स्थापना साल 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी. संघ का उद्देश्य था सांस्कृतिक जागरूकता, अनुशासन, सेवा और सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देना. कल दशहरा है और इस दिन RSS की स्थापना के 100 साल पूरे हो रहे हैं.
जैसे नदियों के किनारे, वैसे संघ…
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस तरह विशाल नदियों के किनारे मानव सभ्यताएं पनपती हैं उसी तरह संघ के किनारे भी और संघ की धारा में भी सैकड़ों जीवन पुष्पित-पल्लवित किए हैं. जैसे कोई नदी जिन रास्तों से गुजरती है उन क्षेत्रों को, वहां की भूमि को अपने जल से समृद्ध करती जाती है, वैसे ही संघ ने इस देश के हर क्षेत्र, हर आयाम को स्पर्श किया है. यह अविरल तप का फल है. यह राष्ट्र प्रवाह प्रबल है.
संघ की धारा अनेक, लेकिन विरोधाभास नहीं
पीएम मोदी ने कहा कि जिस तरह एक नदी कई धाराओं में खुद को प्रकट करती है और हर धारा अलग-अलग क्षेत्र को पोषित करती है. संघ की यात्रा भी ऐसी ही है. संघ के अलग-अलग संगठन भी जीवन के हर पक्ष से जुड़कर राष्ट्र की सेवा करते हैं. पीएम ने कहा कि संघ की एक धारा अनेक धारा तो बनती गई लेकिन उनमें कभी विरोधाभास पैदा नहीं हुआ क्योंकि हर धारा का विविध क्षेत्र में काम करने वाले हर संगठन का भाव एक ही है- राष्ट्र प्रथम.
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