New Delhi: दुनिया की दो बड़ी कंपनियों पर भारतीय जांच एजेंसी ने बेटिंग एप केस में शिकंजा कस दिया है. इस केस में गूगल और मेटा पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें दिल्ली स्थित मुख्यालय में 21 जुलाई को पेश होने को कहा है. ईडी का आरोप है कि इन दोनों कंपनियों ने सट्टेबाजी ऐप्स को बढ़ावा देने का काम किया और उनके विज्ञापनों व वेबसाइट्स को अपनी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर प्रमुखता दी.
गूगल-मेटा पर ईडी का शिकंजा
ऐसा आरोप है कि गूगल और मेटा प्लेटफॉर्म्स सट्टेबाजी ऐप को विज्ञान के जरिए प्रमोट कर रहे हैं और यूजर्स को उनकी पहुंच को बढ़ा रहे हैं. अब जांच एजेंसी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्स (पीएमएलए) के संभावित उल्लंघन को लेकर पड़ताल करने में जुटी है कि कैसे अवैध एप्स को प्रमोट करने का काम डिजिटल प्लेटफॉर्स की तरफ से किया जा रहा था.
गूगल और मेटा पर ये एक्शन ऐसे वक्त पर लिया गया है जब हाल में ईडी की तरफ से मुंबई में डब्बा ट्रेडिंग और ऑनलाइन सट्टेबाजी केस में चार ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. इस छापेमारी में 3.3 करोड़ रुपये, बेशकीमती घड़ी, ज्वैलरी, विदेशी मुद्रा और आलाशीन गाड़ियां जब्त की थी.
आईपीएल का अवैध प्रसारण और सट्टा
एक अन्य मामले में, फेयरप्ले ऐप के जरिए आईपीएल मैचों का गैरकानूनी प्रसारण और सट्टेबाज़ी करवाई गई. इससे आधिकारिक ब्रॉडकास्टर Viacom18 को भारी आर्थिक नुकसान हुआ. कई भारतीय सेलिब्रिटी इस ऐप के प्रचार में शामिल पाए गए हैं, जिससे ऐप की लोकप्रियता में इज़ाफा हुआ. अब तक इस मामले में कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, संपत्तियां अटैच की जा चुकी हैं और चार्जशीट भी दायर की जा चुकी है.
कई हस्तियों पर एफआईआर दर्ज
पिछले हफ्ते ईडी ने 29 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया, जिनमें मशहूर अभिनेता, टीवी होस्ट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शामिल हैं. इन पर आरोप है कि इन्होंने अवैध सट्टेबाजी ऐप्स का प्रचार किया. जिन सेलिब्रिटीज के नाम ईडी की प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट में दर्ज हैं, उनमें प्रकाश राज, राणा दग्गुबाती और विजय देवरकोंडा जैसे बड़े नाम शामिल हैं. इन लोगों को ऐप का प्रचार करने के बदले में भारी रकम दी गई थी.
इन ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स की जांच जारी
जंगल रमी
ए23 (A23)
जीतविन
परिमैच (Parimatch)
लोटस365 (Lotus365)
इन ऐप्स पर आरोप है कि ये भारत में अवैध तरीके से ऑपरेट कर रहे हैं और इनके माध्यम से बड़ी मात्रा में काला धन इधर-उधर किया जा रहा है. ईडी इस जांच के जरिए यह स्पष्ट करना चाहती है कि आखिर क्यों और किस तरह से Google और Meta जैसे वैश्विक दिग्गज कंपनियों के प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल भारत में अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने में हुआ.
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