Lal Krishna Advani Bharat Ratna: लालकृष्ण आडवाणी ने निकाली थी राम रथ यात्रा, जानिए संघर्ष की पूरी कहानी       

Bharat Ratna to Lal Krishna Advani: भाजपा के वरिष्ठ नेता और मार्गदर्शक लालकृष्‍ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान भारत रत्न से नवाजे जाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर जानकारी शेयर की है. पीएम मोदी ने अपने पोस्ट में कहा कि भारत के विकास में उनका अहम योगदान रहा है.

उन्होंने जमीनी स्तर पर काम करने से लेकर भारत के उप-प्रधानमंत्री तक की जिम्मेदारी संभाली है. वह हमारे समय के सबसे बड़े और सम्मानित जननेता रहे हैं. आडवाणी को भारत रत्न सम्मान मिलने के ऐलान के बाद कई नेताओं ने उन्हें बधाई दी है. आइये जानते हैं उनके बारे में…

Lal Krishna Advani: कराची में जन्म

लालकृष्ण आडवाणी का जन्म अविभा‍जित भारत के कराची (वर्तमान में पाकिस्तान) में 8 नवंबर, 1927 को हुआ था. वह सिंधी समुदाय से ताल्‍लुकात रखते हैं. उनके पिता का नाम किशनचंद आडवाणी और माता का नाम ज्ञानी देवी है. उन्‍होंने शुरुआती शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल से प्राप्‍त की.
वर्ष 1947 में लालकृष्‍ण आडवाणी को आजादी के महज कुछ घंटों में ही अपने घर को छोड़कर भारत रवाना होना पड़ा. भारत-पाकिस्‍तान विभाजन के समय उनका परिवार पाकिस्तान छोड़कर मुंबई में आकर बस गया. यहां उन्होंने लॉ कॉलेज ऑफ द बॉम्बे यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की.

Lal Krishna Advani राम मंदिर निर्माण के लिए राम रथ यात्रा

वर्ष 1980 की शुरुआत में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए आंदोलन की शुरुआत करने लगी. वहीं, आज से 34 वर्ष पहले यानी 1990 में आडवाणी ने हिन्दुओं को जोड़ने और राम मंदिर निर्माण की मांग के लिए गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक के लिए राम रथ यात्रा निकाली. 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय की जयंती पर यात्रा निकाली गई. इसको अलग-अलग प्रदेशों से होते हुए 30 अक्टूबर, 1990 को अयोध्या पहुंचना था.

यात्रा के सारथी पीएम मोदी

इस यात्रा के सारथी वही नरेंद्र मोदी थे, जो वर्तमान में देश के पीएम हैं. उस समय वे गुजरात बीजेपी के संगठन महामंत्री हुआ करते थे. असल में, राष्ट्रीय स्तर पर मोदी का अवतरण इसी राम रथ यात्रा के जरिए हुआ था. दूसरी ओर जेपी आंदोलन से निकले नेता लालू यादव को अब इस बात का डर सता रहा था कि अब आंदोलन का प्रभाव खत्म हो चुका है और उनका वोटबैंक कहीं खिसक ना जाए. मंडल आरक्षण की राजनीति भी ढीली पड़ रही थी.

गिर गई वीपी सिंह की सरकार  

इन सबसे पार पाने के लिए लालू यादव ने ‘सेक्युलरिज्म’ शब्द का सहारा लिया. लालू यादव ने इसी के बहाने आडवाणी की रथ यात्रा के पहिए रोक दिए. इस एक कदम का इतना बड़ा प्रभाव हुआ कि देश की सत्ता में बैठे पीएम वीपी सिंह की सरकार गिर गई. वीपी सिंह की सत्ता ऐसे ही नहीं डोली थी. राम रथ यात्रा का प्रभाव इतना था कि जहां से निकलता था वहां इस पर फूलों की बरसात होती थी. जहां से रथ निकलता था लोग वहां की मिट्टी अपने माथे पर लगाते थे.

रथयात्रा का धूल माथे पर लगाते थे लोग

राजधानी दिल्ली में बैठे मानसून के जाने और मशहूर गुलाबी ठंड आने का इंतजार कर रहे राजनीतिक पत्रकार और पंडित चकित थे. उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गाँधी की रैलियां देखी थीं, इंदिरा गांधी का करिश्मा देखा था, लेकिन ऐसी कोई रथयात्रा नहीं देखी, जिसकी धूल लोग अपने माथे पर लगाए.

यात्रा का रणनीतिकार नरेंद्र मोदी

इस रथ यात्रा की पूरी जिम्मेदारी आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही थी. हेमंत शर्मा ने अपनी पुस्‍तक ‘युद्ध में अयोध्या’ में मोदी को इस यात्रा का रणनीतिकार और शिल्पी बताया है. रथ यात्रा के मार्ग और कार्यक्रम की औपचारिक तौर पर सबसे पहले जानकारी भी नरेंद्र मोदी ने ही 13 सितंबर, 1990 को दी थी. ऐसा कहा जाता है कि वो शख्‍स मोदी ही थे, जिनके पास इस यात्रा की हर सूचना होती थी.

रथ छोड़ बैठक में शामिल हुए थे आडवाणी

राम रथ यात्रा को रोका जाना दिखाता है कि सेक्यूलर जमात पर किस कदर समुदाय विशेष का मसीहा बनने का भूत सवार था. किताब ‘युद्ध में अयोध्या’ के अनुसार, 19 अक्टूबर, 1990 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के सुंदरनगर गेस्ट हाउस में एक मीटिंग हुई. मीटिंग में शामिल होने के लिए लाल कृष्‍ण आडवाणी रथ यात्रा धनबाद में छोड़कर आए थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की पहल पर यह बैठक हुई थी. उस समय आडवाणी ने कहा कि वे सरकार नहीं गिराना चाहते. अगर सरकार अध्यादेश लाकर विवादित ढांचे के आसपास की जमीन विश्‍व हिंदू परिषद (विहिप) या उसके प्रतिनिधि को सौंपती है तो भाजपा उसका समर्थन करेगी.

लालू ने आडवाणी को किया गिरफ्तार

कहा जाता है कि तत्‍कालीन पीएम वीपी सिंह नहीं चाहते थे कि मुलायम अकेले मुस्लिमों का मसीहा बने, इसलिए उनके निर्देश पर लालू यादव ने बिहार में ही आडवाणी को अरेस्‍ट कर लिया. हेमंत शर्मा ने ‘युद्ध में अयोध्या’ किताब में लिखा है– वीपी सिंह ने एक तीर से दो शिकार किए. आडवाणी को गिरफ्तार करवाकर मुलायम सिंह को पटखनी दी.

इस रथ यात्रा का प्रभाव इतना था कि पूरे देश से कारसेवक अयोध्या में इकट्ठा होने लगे. कारसेवक इस बात पर अडिग थे कि राम मंदिर का निर्माण तो होकर रहेगा, चाहे तत्कालीन प्रदेश सरकार कितना भी जोर क्‍यों न लगा ले.

कारसेवकों का नरसंहार

इसी क्रम में 30 अक्टूबर, 1990 को अयोध्या में नरसंहार हुआ. कारसेवकों पर गोली चलाई गई, जिसमें कोठारी बन्धु सहित तमाम कारसेवक मारे गए. कारसेवकों में भगवान राम के लिए प्रेम इतना था कि एक कारसेवक ने मरते हुए अपने खून से सड़क पर ‘जय श्री राम’ लिखा. यात्रा शुरू होने के बाद एक तरफ देश के करोड़ों हिन्दुओं की आस्था के सेवक लाल कृष्‍ण आडवाणी खड़े थे तो दूसरी ओर वीपी सिंह, मुलायम सिंह और लालू यादव जैसे नेता अधिकाधिक मुस्लिम वोट बटोरने के लिए आपस में ही होड़ कर रहे थे.

बाबरी मस्जिद को ध्‍वस्‍त कर दिया गया

इस यात्रा के दो सालों यानी 1992 में 6 दिसंबर को पांच घंटे के अंदर कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ध्‍वस्‍त कर दिया. साथ ही कोर्ट में अपने अधिकार की जमीन के लिए लड़ते भी रहे.  आज रामजन्‍मभूमि अयोध्या में भव्य मंदिर में भगवान रामलला विराजमान हैं. हर रोज लाखों भक्‍त अपने प्रभु के दर्शन के लिए जाते हैं. लालकृष्ण आडवाणी, स्‍व. अशोक सिंहल और स्व. अटल बिहारी बाजपेयी उस पीढ़ी में हिन्दू स्वाभिमान जगा रहे थे, जिसको दशकों से नेहरू के आदर्शवाद और इंदिरा के साम्यवाद के प्रेम के बूटों तले रौंद दिया गया था.

ये भी पढ़ें:-

Bharat Ratna: BJP के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा ‘भारत रत्न’, पद्म विभूषण से भी हो चुके हैं सम्‍मानित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *