देश में 73 फीसदी बच्चे सोशल मीडिया पर मौजूद

रिसर्च। हाल ही में लखनऊ में 16 वर्षीय लड़के ने अपनी मां की हत्या कर दी। देवरिया में पबजी गेम के शौकीन लड़के ने अपने दादा को फंसाने के लिए छह वर्षीय मासूम की हत्या कर दी। वहीं मध्य प्रदेश में पोते ने दादा के लाखों रुपये गायब कर दिए। इन सभी घटनाओं को विशेषज्ञ ऑनलाइन गेम, सोशल मीडिया व इंटरनेट के घंटों इस्तेमाल से बच्चे व किशोरों में हिंसक व्यवहार होना मुख्य कारण मानते हैं।

  • अध्ययन में पता चलता है कि, सोशल मीडिया पर सक्रिय 10 में से 3 बच्चे अवसाद, भय, चिंता के साथ चिड़चिड़ेपन के शिकार हैं। कुछ का पढ़ाई में मन नहीं लगता है, तो कुछ बगैर फोन खाना तक नहीं खा पाते।
  • बंगलूरू स्थित राष्ट्रीय मानसिक जांच एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान के मुताबिक, देश के 73% बच्चे मोबाइल यूजर्स हैं। इनमें 30% मनोविकार से पीड़ित हैं।
  • नई दिल्ली एम्स के मनोचिकित्सक डॉ. यतन पाल सिंह बताते हैं, उनके यहां महीने में 15 से 16 बच्चे काउंसलिंग के लिए आते हैं जिनमें से 90% तक मॉडरेट व क्रोनिक स्थिति वाले हैं। अर्थात लक्षण तीसरी या फिर चौथी स्टेज जैसे दिखाई दे रहे हैं।

ऑनलाइन एडिक्शन के लक्षण:-

  • अगर कोई स्क्रीन के सामने लंबा वक्त बिता रहा है तो यह एक मुख्‍य लक्षण है।
  • चिड़चिड़ापन, नींद न आना, धैर्य खोना, गुस्सा आना।

एम्स क्लीनिक में साइबर बुलिंग के मामले भी आ रहे, पीड़ितों में लड़कियां सबसे अधिक, 10 में से एक किशोर साइबर बुलिंग का शिकार है।चाइल्ड राइट्स एंड यू के अध्ययन के अनुसार, दिल्ली जैसे महानगरों में 10 में से एक किशोर साइबर बुलिंग का शिकार है।

साइबर बुलिंग : टारगेट पर ज्यादातर लड़कियां:-
दिल्ली एम्स में हर शनिवार संचालित क्लीनिक में साइबर बुलिंग के मामले आ रहे हैं। इनमें अधिकांश कॉलेज छात्राएं हैं। ऑनलाइन स्टडी एंड इंटरनेट एडिक्शन अध्ययन के अनुसार, 50% से ज्यादा साइबर बुलिंग के मामले दर्ज नहीं होते क्यूंकि लड़कियां अपनी परेशानी साझा नहीं कर पाती हैं और धीरे-धीरे अवसाद से ग्रस्त होने लगती हैं।

यहां से शुरु होते हैं लक्षण:-

  • सोशल प्लेटफॉर्म पर खुद को टैग नहीं किए जाने, वॉट्सग्रुप ग्रुप से रिमूव होने, पोस्ट पर लाइक्स या शेयर नहीं बढ़ने से बच्‍चे चितिंत हो रहे हैं।
  • बार-बार फोन चेक करना। सोशल मीडिया पर दूसरों की पोस्ट देखना और इसी दुनिया पर भरोसा कर लेना।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *