अरे… अब कैसा संकट

लखनऊ। भीषण गर्मी के बीच दिनो दिन कोयले का संकट बढ़ता जा रहा है जो संभावित बिजली संकट की ओर इशारा कर रहा है। ऐसे में राज्य सरकारों की मुसीबतें बढ़ जाएंगी। कोयला संकट के कारण जम्मू कश्मीर, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र  प्रदेश, तमिलनाडू, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और बिहार में जहां बिजली की किल्लत होती जा रही है वहीं आयातित कोयले पर निर्भर 3041 मेगावाट की क्षमता वाले आठ  बड़े बिजली संयंत्रों को बंद करना पड़ा है।

घरेलू कोयले पर निर्भर 88 बिजली संयंत्रों में इस समय कोयले का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। केंद्र सरकार बिजली संकट को कम करने के लिए हर स्तर पर प्रयास कर रही है लेकिन अगर जल्द ही इसका परिणाम नहीं आया तो स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है। अमित शाह ने बिजली संकट की समीक्षा कर हर स्तर पर कदम उठाने का आश्वासन तो दिया है लेकिन इसको लेकर संकट का निदान शीघ्र नहीं किया गया तो आने वाले समय में एक खराब स्थिति और भयावह संकट के दौर से गुजरना पड़ सकता है।

जैसे- जैसे गर्मी बढ़ रही है, वैसे-वैसे बिजली की भी मांग बढ़ रही है। आज के परिवेश में लोगों की दिनचर्या और अधिकतर जीवन विद्युत पर निर्भर हो गया है। बिजली से ही पानी और घरों में चल रहे कूलर पंखों के माध्यम से हवा की भी आपूर्ति होती है। बिजली का उत्पादन कम हो जाने से मांग और आपूर्ति में भी एक बड़ा अंतर आया है। गांव में जहां आठ  से 10 घंटे की कटौती हो रही थी वही अधिकतर शहरों की हालत भी खराब ही है। पिछले छह सालों में देश में पहली बार इस तरह का संकट उत्पन्न हुआ है।

बिजली की मांग अगर ऐसी ही बनी रही तो मई के मध्य तथा जून में बिजली का संकट और गहरा हो सकता है। ऐसे में बंद पड़े और बंदी के कगार पर आ कर खड़े हुए बिजली संयंत्रों को पर्याप्त कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित कराना बहुत जरूरी हो गया है। उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग 21000 मेगावाट तक पहुंच गई है जबकि उपलब्धता सिर्फ 19000 मेगा वाट की ही है। कोयले की कमी को दूर करने के लिए सरकार को अभी खास कदम उठाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *