वाह! सैन्‍य ताकत बढ़ाने में भारत तीसरे नम्‍बर पर

नई दिल्ली। आज विश्व का परिवेश कुछ ऐसा बन गया है कि दुनिया भर के सभी देशों में कमोबेश युद्ध की तैयारियों की होड़ मची हुई है। खास बात यह है कि इस मद में भारी धनराशि भी खर्च कर रहे है। कई देश तो कर्ज लेकर भी अपनी सैन्य तैयारी में परहेज नहीं कर रहे हैं। चाहे उस देश की आर्थिक स्थिति ठीक हो या ना हो। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों से बड़े बड़े नेता भले ही विश्व शांति के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते है लेकिन वास्तविकता बिल्कुल इसके उलट है।

अगर स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट देखी जाए तो उसमें जो आंकड़े दिए गए हैं वह बिल्कुल चौंकाने वाले हैं। इसकी ताजा रिपोर्ट में वैश्विक सैन्य खर्च को काफी बढ़ाने की बात की गई है। वैश्विक महामारी के बावजूद सैन्य खर्च वित्त वर्ष 2021 में 2.20 तो 2022 में 2.1 ट्रिलियन डॉलर के उच्चतम पर स्तर पर पहुंच गया है। 2018 में कुल वैश्विक सैन्य खर्च में वास्तविक रुप से 0.7% की बढ़ोतरी हुई है। 2020  में पांच से अधिक खर्च करने वाले देशों में भारत तीसरे स्थान पर है। इस सूची में अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और रूस भी शामिल है।

इन सभी पांच देशों का कुल हिस्सा 62 फ़ीसदी है। भारत का कुल खर्च 76.6 बिलीयन डालर है। यह 2020 से 0.9% और 2012 से 33 फ़ीसदी अधिक है। अमेरिका और चीन खर्च में पहले और दूसरे स्थान पर हैं। इधर अमेरिका का खर्च 801 बिलीयन डालर था। अमेरिका ने अनुसंधान और विकास के मद में करीब 24 फ़ीसदी की बढ़ोतरी कर दी है जबकि हथियारों की खरीद पर 6.4 फ़ीसदी की कमी की है।

दूसरे स्थान पर चीन ने रक्षा पर 293 बिलियन डालर खर्च किए हैं जो 2020 की तुलना में 4.7 फ़ीसदी अधिक है। रूस सैन्य खर्च के मामले में पांचवें स्थान पर है। कोराना महामारी से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा लेकिन ऐसे में भी सभी देशों ने अपनी-अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत करने के लिए खर्च में कुछ न कुछ बढ़ोतरी की है।

हालांकि यह सभी देशों का दायित्व भी है कि वह अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए कुछ धन व्यय करें और इस काम को प्राथमिकता भी दी जानी चाहिए, लेकिन जिस तरह से अंदरूनी तैयारियां की जा रही हैं वह एक अलग ही संकेत दे रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन की विस्तार वादी नीति के जो परिदृश्य सामने आए हैं उससे सभी देशों में एक अलग ही होड़ मची है। अगर विश्व में शांति रहती है तो सैन्य शक्ति बढ़ाने पर होने वाला व्यय जनता की खुशहाली और बेहतरी पर खर्च किया जाता। इस समय पूरे विश्व को शांति की दिशा में बढ़ने का प्रयत्न करना चाहिए।

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