चरित्र मानव धर्म की सबसे बड़ी पूँजी: पंकज महाराज

Ghazipur: बाबा जयगुरुदेव के उत्तराधिकारी बाबा पंकज महाराज की 83 दिवसीय जन-जागरण यात्रा मंगलवार को सायंकाल यहां से 2 कि.मी. दूर गोपालपुर सेनो बॉध गांव में पहुंची. पुष्पवर्षा, कलशदीप, बैण्डबाजों से यात्रा का भव्य स्वागत किया गया.

यात्रा के छठवें दिन सत्संग सुनाते हुए बाबा पंकज ने कहा कि सन्त महात्मा कोई जाति-पाति, धर्म-मजहब या कौम कौमियत बनाने नहीं आते हैं. वह हमारे हाथों में डण्डे-तलवारें पकड़ाने भी नहीं आते. वह तो सबको मानवता सच्ची इन्सानियत का पाठ पढ़ाते हैं. मालिक से मिलने का रास्ता बताते हैं. भगवत्भजन कराकर भव सागर से पार ले जाते हैं. जन्म-मरण के बन्धनों से मुक्ति दिलाते हैं.

उन्होंने कहा कि हर जीव के अन्दर प्रभु की अंश जीवात्मा है. यह उस परमात्मा रूपी समुद्र की एक बूँद है. सारी जीवात्मायें शब्द यानि नाम की डोरी से उतार कर लाई गईं हैं. अपने सच्चे देश में जाने के लिए शब्द की डोरी चाहिए. वह शब्द की डोरी आज्ञा चक्र, भृकुटि विलास स्थान पर अन्दर जानें पर मिलेगी. जिस प्रकार कस्तूरी मृग की नाभि में सुगन्धी कस्तूरी मणि है, पर उसको वह बाहर खोजता है. यही दशा संसार की है कि हम परमात्मा की खोज बाहर कर रहे हैं. ”कस्तूरी कुण्डलि बसे, मृग ढूँढैं वन माहिं, ऐसे घट-घट राम हैं, दुनिया देखै नाहिं.“

बाबा जयगुरुदेव महाराज की जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था, मथुरा के प्रमुख ने कहा कि परिवर्तन कोई कानून बनाने से, भाषण या वक्तव्य देने से, तोड़फोड़, आन्दोलन हड़ताल करने, कराने से, कोई झण्डा विशेष फहराने से नहीं होता. परिवर्तन तब होता है, जब लेागों के विचार बदलते हैं, भावनायें बदलती हैं. विचार भावनाओं का परिवर्तन तब होता है, जब लोगों का खानपान ठीक होगा.

 उन्होंने आम अवाम से शाकाहार अपनाने, नशामुक्त रहने की अपील करते हुए देश में बढ़ती हिंसा और अपराध तथा कदाचार की घटनाओं का मुख्य कारण बताया. गिरते चरित्रों एवं नशाखोरी की बढ़ती प्रवृत्ति पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त की. देश में सामाजिक समरसता लाने, प्रेम सौहार्द की स्थापना के लिए अच्छे संसार की शिक्षा, चरित्र उत्थान की प्रेरणा देने की महती आवश्यकता है.

83 दिवसीय यात्रा के अगुवा ने कहा कि चरित्र मानव धर्म की सबसे बड़ी पूँजी है. चरित्र चला गया तो आदमी खोखला हो गया. उन्होंने लड़ाई झगड़ों को अज्ञानता की निशानी कहा. नफरत की आग में जलती दुनिया को शीतलता की छॉव यानि ठण्डक की सबको जरूरत है. यह सब वहीं मिल सकते हैं, जहाँ शान्ति के सन्देश, सुकून के उपदेश होते हैं. ऐसा सन्देश सन्त महात्मा ही दे सकते हैं. बिना महात्माओं के देश का सुधार नहीं होगा.

 संस्था के मुखिया ने सबको अपने मानव जीवन को सफल बनाने के लिए नामयोग साधना करके आत्म-कल्याण करने की विद्या का भेद बताया और सुमिरन, ध्यान, भजन करने की क्रिया समझाई.

 उन्होंने आगामी 3 से 5 मार्च 2026 तक जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में पारम्परिक रूप से आयोजित जयगुरुदेव होली सत्संग मेले में भाग लेने का निमन्त्रण दिया. इस अवसर पर जंगबहादुर सिंह, मनबोध यादव, लक्षिराम यादव, डा. उपेन्द्र प्रसाद राजभर, रामरतन राजभर, धर्मेन्द्र यादव, रामदुलार यादव, नरेन्द्र चौहान आदि उपस्थित रहे. सत्संग के बाद वे धुरेहरा त्रिलोकपुर के लिए प्रस्थान कर गये, जहां 11 दिसम्बर को दोपहर 12 बजे से सत्संग एवं नामदान होगा.

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