Ramlala Pran Pratishtha:आज सदियों की प्रतीक्षा होगी पूरी, थोड़ी ही देर में शुरू होगा श्री रामलला का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम

Ramlala Pran Pratishtha: आज सदियों की प्रतीक्षा पूरी होने जा रही है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishtha) होते ही 22 जनवरी, 2024 का दिन इतिहास के पन्‍नों पर सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो जाएगा. अयोध्या में जय-जय राम, जय सियाराम की गूंज विराम लगाएगी. इस अद्भुत, अद्वितीय, अलौकिक अनुष्ठान के सशरीर गवाह बनने वालों के साथ ही इसे देखने और इसके अनुष्ठानों से जुड़ने वाले सांस्कृतिक अनुष्ठान के संदेशवाहक बनेंगे.

बता दें कि आज राम नगरी अयोध्या पूरी तरह से सज-धज का तैयार हो चुकी हैं और कुछ ही देर बाद रामलला सरकार की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishtha) हो जाएगी. आज का दिन सभी रामभक्तों के लिए ऐतिहासिक है. हर कोई रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भावुक है. राम नाम की लहर ना सिर्फ देश में ही है, बल्कि विदेशों में भी राम भक्ति की लहर गूंजते हुए दिखाई दे रही है.

इस पल की साक्षी बनेंगी तमाम हस्तियां

वहीं, आयोध्‍या के इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए तमाम हस्तियां रामनगरी पहुंच रही हैं. इस समारोह के धार्मिक अनुष्ठानों में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे. आपको बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishtha) समारोह दोपहर 12:20 बजे शुरू होगा. इसके दोपहर 1:00 बजे तक सम्पन्न होने की संभावना है. वहीं, इस समारोह में शामिल होने के लिए बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन, उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अडानी और दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर समेत देश-दुनिया की तमाम हस्तियां अयोध्‍या पहुंच गए हैं.

Ramlala Pran Pratishtha: चारों ओर श्री राम की लहर

आज पूरा देश इस अनुष्ठान से जुड़ा है. शैव, वैष्णव, शाक्त, रामानंदी से लेकर विभिन्न अखाड़े व सिख, जैन, बौद्ध धर्माचार्य भी अयोध्या आए हैं. हिन्‍दू के साथ मुस्लिम भी रामलला के आगमन के लिए उत्सुक हैं. पूरे देश में उत्सव-सा माहौल है. चारों तरफ लोगों में उल्लास नजर आ रहा है. देश के साथ ही विदेशों में भी रामलला की लहर नजर आ रही है. मॉरीशस और नेपाल में अनुष्ठान हो रहे हैं.

विदेश में रहने वाले भारतवंशियों ने पूजन व भोग सामग्री भेजी है, वह दुनियाभर के सनातनियों और सनातन संस्कृति को समझने वाले के राम के सरोकारों से जुड़े होने का प्रतीक है. दुनियाभर में हो रहे अनुष्ठान त्रेता युग के राम की उत्तर से दक्षिण को जोड़ने की शक्ति बताने को पर्याप्त हैं. जातियों के खांचों से निकालकर राष्ट्र की पहचान से जोड़ने की क्षमता का प्रतीक हैं.

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