Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि ईश्वर न विमुख और न अप्राप्त- मनुष्य ईश्वर से विमुख हो सकता है, लेकिन ईश्वर कभी किसी से विमुख नहीं हो सकता। ईश्वर सदा-सदा के लिये हम-सबके सन्मुख ही है। वह कभी हम सबसे विमुख नहीं हो सकते।
इसलिये कभी मत कहना कि आजकल भगवान ने मुंह फेर लिया है, भगवान मुझसे रूठ गया है, भगवान की कृपा कम हो गई है। ईश्वर की कृपा कम या ज्यादा कभी नहीं होती। हमारी अपेक्षाएं ही बढ़ जाती हैं, हमारी मांग बढ़ जाती है, हमारी इच्छाएं, कामनाएं बढ़ जाती हैं और उन कामनाओं की पूर्ति नहीं होती है तो हम कहते हैं ईश्वर की कृपा कम हो गई।
मनुष्य जो कामनाएं करता है उनमें से कई कामनाएं निकम्मी होती है। मनुष्य की ऐसी इच्छा को पूर्ण नहीं करके भगवान मनुष्य पर कृपा ही बरसाते हैं।
ईश्वर कभी अप्राप्य नहीं है। प्राप्य ही है। मनुष्य ने ईश्वर को गंवाया कब है? खोया कब है? जो उसे पाना चाहता है। मनुष्य लाख कोशिश करे लेकिन ईश्वर को खो नहीं सकता, और लाख कोशिश करें तो संसार को पा नहीं सकता। वास्तव में जिसको कोई पाने का उपाय नहीं है वह संसार है, और जिसको खोने का कोई उपाय नहीं है वह परमात्मा है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।