Health: पिछले कुछ सालों में जीवनशैली से जुड़ी कई बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। दरअसल, इन दिनों गलत खान-पान और एक्सरसाइज़ की कमी कई गंभीर बीमारियों का कारण बन रही है। जैसे इन दिनों गैस्ट्रोपेरेसिस के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। यह ऐसी स्थिति है जो पेट में नसों और मांसपेशियों को प्रभावित करती है जिससे वे सामान्य रूप से काम नहीं कर पाती हैं। इसका मतलब है कि भोजन पेट से छोटी आँत में बहुत धीरे-धीरे या बिल्कुल भी नहीं जा पाता।
गैस्ट्रोपेरेसिस क्या है?
गैस्ट्रोपेरेसिस एक चिकित्सीय स्थिति है जो पेट की अपनी सामग्री को छोटी आंत में ठीक से खाली करने की क्षमता को प्रभावित करती है। यह स्थिति तब होती है जब पेट की मांसपेशियाँ—जो पाचन तंत्र से भोजन को आगे बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार होती हैं—क्षतिग्रस्त या कमज़ोर हो जाती हैं। परिणामस्वरूप, भोजन सामान्य से अधिक समय तक पेट में रहता है, जिससे विभिन्न पाचन संबंधी लक्षण उत्पन्न होते हैं
गैस्ट्रोपेरेसिस के लक्षण:
- पेट में भारीपन और दर्द
- अपच और मिचली
- उल्टियाँ, खासकर खाने के बाद
- भूख की कमी
- वजन घटना
- पेट में गैस बनना और दस्त की समस्या
कौन लोग होते हैं सबसे ज़्यादा प्रभावित ?
गैस्ट्रोपेरेसिस किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन यह स्थिति आमतौर पर मध्यम आयु और वृद्ध लोगों में अधिक देखी जाती है। यह उन व्यक्तियों में भी अधिक आम है, जिन्हें मधुमेह (डायबिटीज), पार्किंसन्स रोग, या कुछ अन्य तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारियाँ हैं। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं में भी कभी-कभी यह समस्या देखने को मिलती है।
गैस्ट्रोपेरेसिस से बचाव के उपाय:
- भोजन को चबाकर खाएं: नियमित रूप से कम मात्रा में भोजन करें और भोजन को धीरे-धीरे चबाकर खाएं।
- मसालेदार भोजन करने से बचें: अधिक फैटी और मसालेदार भोजन से बचें।
- पानी पिएं: पर्याप्त पानी पीने की आदत डालें।
- एक्सरसाइज़ करें: शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाने से पाचन क्रिया में सुधार हो सकता है।
- शुगर को करें कंट्रोल: अगर आप मधुमेह के रोगी हैं तो अपनी शुगर को नियंत्रित रखें। डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयाँ समय पर लें और उनकी सलाह पर ध्यान दें।
इसे भी पढ़ें:-सीएम रेखा गुप्ता ने बच्चों संग मनाया रक्षाबंधन का त्योहार, बच्चियों को दिए गिफ्ट