Delhi: दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कनाडा सरकार को भारतीय मूल के पूर्व कनाडाई नौकरशाह संजय मदान और उनके सहयोगियों के भारतीय बैंक खातों से 65.9 करोड़ रुपये वसूलने की अनुमति दी है। यह राशि उत्तर अमेरिकी देश में वर्तमान में चल रहे करोड़ों रुपये के गबन के एक मामले में वसूल की गई है।
क्या है मामले से जुड़ा पूरा विवाद?
यह मामला 290 करोड़ की धोखाधड़ी से जुड़ा है, जिसमें संजय मदान जो ओंटारियो की एजुकेशन मंत्रलाय में आईटी डाइरेक्टर रह चुके हैं. लेकिन, 2011 से 2020 के बीच शेल कंपनियों और कोविड-19 राहत कार्यक्रमों का दुरुपयोग कर 47.4 मिलियन कनाडाई डॉलर (करीब 290 करोड़ रुपये) की हेराफेरी करने का आरोप है.
अप्रैल 2023 में उन्हें दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई गई थी. उन्होंने 30 मिलियन कनाडाई डॉलर लौटाए और बाकी राशि 15 सालों में चुकाने पर सहमति जताई. यदि वह बचे हुए पैसे चुकाने में असफल रहते हैं, तो उनकी सजा छह साल और बढ़ सकती है.
कनाडा सरकार ने दायर की थी कोर्ट में अर्जी
कनाडा सरकार ने यह रिकवरी केस भारत की दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 84 के तहत दायर किया था, जो विदेशी सरकारों को भारत में कानूनी कार्रवाई की अनुमति देता है.
दिल्ली कोर्ट ने अन्य भारतीय बैंकों जैसे कि यस बैंक, कोटक महिंद्रा, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीबीआई बैंक और पंजाब नेशनल बैंक को आदेश दिया है कि वे संजय मदान और सह-आरोपी विधान मदान के खातों से जुड़ी जानकारी हलफनामे के रूप में अदालत में दाखिल करें. दोनों आरोपियों को भारत में मौजूद अपनी सारी संपत्तियों का विवरण भी देने का निर्देश दिया गया है.
मदन को कोई आपत्ति नहीं, वकिल ने कोर्ट से कहा
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए संजय मदान ने फंड ट्रांसफर पर सहमति जताई। उनके वकील ने अदालत को बताया कि मदन के खातों में इंडसइंड बैंक में 38 करोड़ रुपये और आरबीएल बैंक में 29 करोड़ रुपये हैं और मदन ने धन प्रेषण पर कोई आपत्ति नहीं जताई।
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