Raksha Bandhan 2025: भाई-बहन के पावन प्रेम का प्रतीक है रक्षाबंधन का त्योहार। रक्षाबंधन सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहन भाई की दीर्घायु, सफलता और समृद्धि की कामना करते हुए कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं। पंचांग के अनुसार राखी का पर्व सावन की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इसी तिथि के साथ सावन मास का समापन भी होता है। श्रावण पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ होगी 8 अगस्त 2025 को दोपहर 02:12 बजे से। श्रावण पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी 8 अगस्त 2025 को दोपहर 01:24 बजे पर। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व 2025 में 9 अगस्त को मनाया जाएगा।
कब है रक्षाबंधन 2025?
- श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि आरंभ- 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से
- श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि समाप्त- 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर
- रक्षाबंधन 2025 तिथि- उदया तिथि के हिसाब से रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।
रक्षाबंधन पर इन शुभ योगों का संयोग
- सर्वार्थ सिद्धि योग: इस बार रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5 बजकर 47 मिनट से दोपहर 2 बजकर 23 मिनट तक रहेगा.
- सौभाग्य योग: यह योग 9 अगस्त को सुबह से लेकर 10 अगस्त को तड़के 2 बजकर 15 मिनट तक रहेगा.
- शोभन योग: रक्षाबंधन पर शोभन योग का संयोग पर्व की महत्ता को और बढ़ा रहा है. यह 10 अगस्त को तड़के 2 बजकर 15 मिनट तक रहेगा.
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4 बजकर 22 मिनट से 5 बजकर 04 मिनट तक ब्रह्म मुहूर्त रहेगा
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा.
रक्षाबंधन 2025 पर चौघड़िया मुहूर्त
- लाभ काल- प्रातः 10:15 से दोपहर 12:00 बजे
- अमृत काल-दोपहर 1:30 से 3:00 बजे
- चर काल- सायं 4:30 से 6:00 बजे
रक्षा बंधन नियम, पूजा विधि
- रक्षाबंधन के दिन सुबह दोनों भाई- बहने स्नान कर लें।
- उसके बाद इस दिन नये वस्त्र धारण करें। ऐसा माना जाता है कि नये वस्त्र धारण कर के राखी बांधना शुभ होता है।
- राखी बांधवाते समय भाई की पीठ पश्चिम या दक्षिण दिशा होनी चाहिए। दक्षिण दिशा में मुख करके राखी नहीं बंधवानी चाहिए।
- राखी बांधते समय भाई का सर ढका हुआ होना चाहिए।
- भाई के माथे पर कुमकुम और अक्षत का टिका जरूर लगाएं।
- भाई के सीधे हाथ में नारियल दें और फिर राखी बांधे। ध्यान रहे की राखी बांधते समय उसमें तीन गाठ जरूर लगाएं।
- राखी बांधने के बाद भाई को मिठाई खिलाएं और उनकी आरती उतारें।
- उसके बाद बड़ा भाई हो तो उसके पैर छुकर आशीर्वाद लें और छोटा भाई हो तो उसको आशीर्वाद दें।
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