भारतीय संस्कृति के अनुरूप होगा आयुष विश्वविद्यालय का वास्तुशिल्प

गोरखपुर। अब तक उत्तर प्रदेश के भीतर आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योग, सिद्धा की चिकित्सा पद्धति, जिन्हें समन्वित रूप में आयुष कहा जाता है इसके लिए अलग-अलग संस्थाएं रही हैं। मगर अब इन सभी आयुष पद्धतियों की गोरखपुर के भटहट, पिपरी स्थित प्रदेश के पहले आयुष श्विविद्यालय के एक ही परिसर में पढ़ाई होगी। शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों इस आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास हुआ। करीब 299 करोड़ की लागत से 52 एकड़ में बनने वाला यह विश्वविद्यालय मार्च 2023 तक संचालित होने लगेगा। विश्वविद्यालय की चारदीवारी निर्माण के लिए 2.4 करोड़ रुपये तथा मिट्टी भराई के लिए 3.99 करोड़ रुपये सरकार ने अवमुक्त भी कर दिए हैं। विश्वविद्यालय का वास्तुशिल्प भारतीय संस्कृति के अनुरूप होगा। इसके परिसर में एकेडमिक भवन, प्रशासनिक भवन, आवासीय भवन, छात्रावास, गेस्ट हाउस के अलावा आडिटोरियम और सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक भी होगा। अनुमान है कि आयुष विश्वविद्यालय के संपूर्ण प्रोजेक्ट पर तकरीबन एक हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। राज्य में आयुष विधा के वर्तमान में 94 कॉलेज अलग अलग विश्वविद्यालयों/ संस्थानों से संबद्ध हैं। जल्द ही प्रदेश के आयुर्वेद के 67 कॉलेज (8 सरकारी व 58 निजी), यूनानी के 15 कॉलेज (2 सरकारी व 13 निजी) तथा होम्योपैथी के 12 कॉलेज (9 सरकारी व 3 निजी) समन्वित रूप से आयुष विश्वविद्यालय से संबद्ध कर दिए जाएंगे। एक जगह संबद्धता होने से इन कॉलेजों के डिग्री व डिप्लोमा के पाठ्यक्रमों में एकरूपता रहेगी और सत्र का नियमन भी आसान होगा। आयुष विश्वविद्यालय में आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्धा, होम्योपैथी और योग चिकित्सा की पढ़ाई और उस पर शोध कार्य तो होगा ही, लोगों को ‘नो साइड इफेक्ट’ वाली इन पद्धतियों से इलाज की सुविधा भी मिलेगी। आयुष विश्वविद्यालय औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देकर किसानों के जीवन में खुशहाली भी लाएगा। विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की देखरेख में वह औषधीय खेती के लिए प्रेरित होंगे। विश्वविद्यालय परिसर में भी अलग से औषधीय पादप उद्यान विकसित किया जाएगा।

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