MP: मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की जन्म जयंती शताब्दी पर शून्य से शिखर तक कार्यक्रम आयोजित किया गया, इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, राज्यपाल मंगू भाई पटेल, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, तुलसी सिलावट और फाउंडेशन की अध्यक्ष माला वाजपेयी तिवारी ने कार्यक्रम में भाग लिया है. उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने कहा कि अटल बिहारी बाजपेयी की विरासत को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आगे बढ़ा रहे हैं और देश को विकसित भारत–2047 के लक्ष्य की ओर दृढ़ता से अग्रसर कर रहे हैं.
राष्ट्र निर्माण में योगदान- सी.पी. राधाकृष्णन
उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा कि मां अहिल्या की पावन धरती पर आकर उन्हें विशेष प्रसन्नता है. उन्होंने अटल फाउंडेशन के मंच से अटल बिहारी बाजपेयी के जीवन, व्यक्तित्व और राष्ट्र निर्माण में योगदान को स्मरण किया. उन्होंने कहा कि अटल जी संवाद, समावेशी विकास और मानवीय सुशासन में विश्वास रखते थे. सांसद, कवि और प्रधानमंत्री—हर भूमिका में उन्होंने सार्वजनिक विमर्श को गरिमा दी और सिद्ध किया कि राजनीति सिद्धांतनिष्ठ और करुणामय हो सकती है. उन्होंने अटल सरकार की प्रमुख उपलब्धियों प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना, दिल्ली मेट्रो, नए राज्यों का गठन (झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड) तथा पोखरण परमाणु परीक्षण का उल्लेख करते हुए कहा कि इन पहलों ने आधुनिक भारत की नींव मजबूत की.
लोकतांत्रिक मयार्दाओं का प्रतीक थे वाजपेयी : सीएम
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रनीति का शिखर पुरुष, राजनीति का अजातशत्रु और लोकतांत्रिक मयार्दाओं का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि उनकी राजनीतिक यात्रा भारतीय लोकतंत्र की प्रेरक गाथा है. लोकसभा में उनके ओजस्वी भाषण हों या संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में दिया गया ऐतिहासिक वक्तव्य. हर मंच पर उन्होंने भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई. कारगिल युद्ध और परमाणु परीक्षणों के समय उनका नेतृत्व देश के आत्मसम्मान का प्रतीक बना.
राज्यपाल मंगुभाई पटेल का प्रेरक संबोधन
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने अटल जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अटल बिहारी बाजपेयी की जन्म शताब्दी केवल पुण्य स्मरण का प्रसंग नहीं, बल्कि उनके विराट व्यक्तित्व, उच्च आदर्शों और दूरदर्शी नेतृत्व से प्रेरणा प्राप्त करने का पावन क्षण है. उन्होंने स्वयं को भाग्यशाली बताते हुए कहा कि उन्हें अटल जी के सानिध्य में कार्य करने का अवसर मिला, जहाँ उनके महान आभामंडल में रहकर उन्हें करीब से देखने, समझने और उनसे प्रेरित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. राज्यपाल ने कहा कि स्व. अटल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व को कुछ शब्दों में समेटना संभव नहीं है, वे एक विराट व्यक्तित्व और एक चलता-फिरता महाकाव्य थे. उनकी वाणी में ओज था, जो जनमानस में ऊर्जा और राष्ट्रभाव का संचार करती थी. वे असंख्य कार्यकर्ताओं के लिए प्रकाश-पुंज थे. उनका जीवन ऐसे ग्रंथ की भाँति था, जिसका प्रत्येक पृष्ठ नैतिकता, उत्कृष्टता और राष्ट्रधर्म की राह दिखाता है.
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