पूर्व संचित प्रारब्ध के अनुसार ही मिलते हैं अमृतबिंदु-प्रारब्ध-संपत्ति: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि कथा का प्रसंग- जगद्गुरु श्री रामानंदाचार्य जी महाराज केजामाता भक्त शिरोमणि श्री लालाचार्य जी महाराज जी की कथा-श्रीलालाचार्यजी-श्रीरामानुजाचार्यजी के दामाद श्रीलालाचार्यजी की कथा सुनते ही भगवान में विशेष प्रीति होती है। एक बार कोई तुलसी कंठी धारण किये हुए मृतक-शरीर नदी में बहता हुआ आया। श्रीलालाचार्य जी ने उसे निकाल कर उसका अपने भाई के समान दाह संस्कार किया।तेरहवें दिन भोजन के लिए ब्राह्मणों को तथा कुटुम्बियों को निमंत्रण देकर बुलाया। अज्ञात शव का भंडारा जानकर ब्राह्मण लोग नाक-भौंह सिकोड़ना लगे और भोजन करने कोई नहीं आया। तब बैकुंठधाम से भगवान के पार्षद आये। जिन्हें भोजन करते हुए तो सभी लोगों ने देखा, परंतु जाते समय वे आकाश मार्ग से चले गये। किसी को मिले नहीं, उन्हें किसी ने न पाया। इस चमत्कार से लालाचार्य जी की महिमा लाखों गुना बढ़ गई।

उन्होंने आगे कहा कि सत्संग के अमृतबिंदु-प्रारब्ध-संपत्ति, संतति और सांसारिक सुख तो पूर्व संचित प्रारब्ध के अनुसार ही मिलते हैं। तुम्हारे जीवन की फिल्म तो जन्म से पहले ही निश्चित हो गई है। उसे साक्षी भाव से देखोगे तो सुखी रहोगे। कर्ताभाव रखोगे तो दुःख उठाओगे। तुम्हें कितने पैसे मिलने वाले हैं- यह प्रभु ने पहले ही निश्चित कर दिया है। तुम्हारे भाग्य का पैसा कोई दूसरा नहीं ले जा सकता, और दूसरे के भाग्य का पैसा तुम्हें मिलने वाला नहीं है। तुम्हारी चिंता प्रभु को ज्यादा है, इसलिए जन्म के पहले ही तुम्हारी सब व्यवस्था तैयार करके रखते हैं। सर्वेश्वर ईश्वर के नाम चाहे अनेक हों, ईश्वर तो एक है। सर्वोपरि परमात्मा को ही कोई कृष्ण कहता है, कोई राम कहता है, कोई शिव कहता है, भगवान के तो अनेक नाम है। प्रभु निराकार भी है, साकार भी है, सर्वाकार भी हैं। प्रभु से कुछ छिपा नहीं सकते। वह तो तन की बात भी जानता है और मन की बात भी जानता है। मन के पापों की खबर चाहे दुनियां को न हों,प्रभु को तो उनकी खबर होती है। आज से निश्चय करो- काम पर विजय प्राप्त करना है, राम के चरणों में समर्पित होना आवश्यक है। प्रभु बहुत उदार है। वे नास्तिक को भी पवन, पानी, एवं प्रकाश प्रदान करते हैं। परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज ने बताया कि- कल की कथा में श्री चारभुजा नाथ के पुजारी देवा पंडा जी की मंगलमय कथा का वर्णन किया जायेगा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश)। श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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