Krishna Janmashtami 2025: केवल मथुरा-वृंदावन ही नहीं, इन जगहों से भी है श्रीकृष्‍ण का अटूट रिश्‍ता, इस जन्‍माष्‍टमी जरूर करें दिदार

Krishna Janmashtami 2025: हिंदुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक श्रीकृष्‍ण जन्माष्टमी है. पौराणिक मान्‍याता है कि इस दिन भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी कथा और बाल लीलाएं सदियों से याद की जाती है. भगवान श्रीकृष्‍ण की जन्मस्थली मथुरा है, वहीं गोकुल वृंदावन में माता यशोदा और पिता नंद के घर पर उनका बचपन बीता है.

ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली और बाल्यकाल को महसूस करने के लिए लोग मथुरा-वृंदावन जाते हैं. हालांकि उनके जीवन से जुड़े कई और भी स्‍थान हैं जहां से श्रीकृष्ण का गहरा रिश्‍ता है. ऐसे में आज हम आपकोश्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े इन पवित्र स्‍थानों के बारे में बताने जा रहे हैं. जन्माष्टमी के अवसर पर आप दर्शन के लिए श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े स्थानों पर भी जा सकते हैं.  

द्वारका (गुजरात)

गुजरात में स्थित द्वारका में श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर है. कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण मथुरा छोड़ने के बाद गुजरात आए और वहीं द्वारका नगरी बसाई. वह द्वारका के राजा कहे जाते हैं. यह नगरी उनके शासनकाल में एक प्रमुख स्थान थी और आज भी यह एक अहम तीर्थ स्थल है. द्वारका को भगवान श्रीकृष्ण की राजधानी भी कहते हैं. द्वारकाधीश मंदिर यहां का प्रमुख आकर्षण का केंद्र है. इस मंदिर में श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है.  

कुरुक्षेत्र (हरियाणा)

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में ही महाभारत का युद्ध लड़ा गया था. पौराणिक कथा के अनुसार, यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. यह स्थान भारतीय इतिहास और धार्मिकता के लिए अत्यंत खास है. कुरुक्षेत्र में ब्रह्म सरोवर और गीता उपदेश स्थल प्रमुख धार्मिक स्थल हैं.  

सोमनाथ (गुजरात)

कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपना अवतार समाप्त करने से पहले सोमनाथ के पास प्रभास क्षेत्र में अपने अंतिम समय बिताया था. यहीं पर उन्‍होंने एक शिकारी के तीर से शरीर त्यागा था. सोमनाथ मंदिर एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग मंदिर है और श्रीकृष्ण से जुड़ी अंतिम घटनाओं का साक्षी माना जाता है.

गिरिराज पर्वत, गोवर्धन

मथुरा के पास स्थित एक पर्वत है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर उठाकर इंद्र के क्रोध से गोकुल वासियों को बचाया था. गोवर्धन पूजा और गोवर्धन परिक्रमा यहाँ के प्रमुख धार्मिक क्रियाकलाप हैं. गोवर्धन पर्वत का संबंध श्रीकृष्ण की लीलाओं में से एक है और यहाँ लाखों भक्त परिक्रमा करने आते हैं.  

बरसाना

भगवार श्रीकृष्ण का बरसाना से भी अटूट संबंध है. कहा जाता है कि बरसाना में राधा रानी रहती हैं. श्रीकृष्ण राधा जी से प्रेम करते थे. बरसाना में ही कान्हा राधा जी से मिलने जाया करते थे. यहां रावल गांव में राधा कृष्ण का एक पेड़ भी मौजूद है.  

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