राजनीतिक हमले में दोनों पैर गंवाने के बाद भी शिक्षा और समाज सेवा में रहे सक्रिय, अब राज्यसभा पहुंचे सदानंदन मास्टर

Kerala: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80(1)(क) के तहत चार लोगों को राज्यसभा के लिए नामित किया है. इनमें एक नाम है सी सदानंदन मास्टर का, जो केरल के एक शिक्षक हैं और एक दर्दनाक राजनीतिक हमले से बचने के बाद भी शिक्षा और समाज सेवा में सक्रिय रहे हैं.

जीवन साहस और अन्याय के आगे न झुकने की प्रतिमूर्ति- पीएम मोदी

जब राष्ट्रपति ने सी सदानंदन मास्टर को राज्यसभा भेजने की घोषणा की तो प्रधानमंत्री मोदी ने कहा – सी. सदानंदन मास्टर का जीवन साहस और अन्याय के आगे न झुकने की प्रतिमूर्ति है. हिंसा और धमकी भी राष्ट्र विकास के प्रति उनके जज्बे को डिगा नहीं सकी. एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी उनके प्रयास सराहनीय हैं. युवा सशक्तिकरण के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता है. राष्ट्रपति जी द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत होने पर उन्हें बधाई. सांसद के रूप में उनकी भूमिका के लिए शुभकामनाएं.

नेशनल टीचर्स यूनियन के उपाध्यक्ष

भाजपा के सदस्य सी सदानंदन मास्टर केरल के त्रिशूर जिले से हैं. वे श्री दुर्गा विलासम हायर सेकेंडरी स्कूल, पेरमंगलम में 1999 से सामाजिक विज्ञान के शिक्षक के रूप में पढ़ा रहे हैं. उन्होंने गौहाटी विश्वविद्यालय से बीकॉम और कालीकट विश्वविद्यालय से बी.एड की पढ़ाई की है. वे केवल शिक्षक ही नहीं हैं, बल्कि केरल में नेशनल टीचर्स यूनियन के उपाध्यक्ष और उसकी मासिक पत्रिका देशीय अध्यापक वर्था के संपादक भी हैं.

1994 के हमले में गंवाने पड़े थे दोनों पैर

25 जनवरी, 1994 की रात करीब 8:30 बजे एक तीस वर्षीय युवक अपने काम निपटा कर घर को लौट रहा था. तभी कुछ लोगों की भीड़ आई उसे रास्ते पर पटका और इसके पहले की वो कुछ समझ पाता उसके पैर, शरीर से अलग कर दिए गए. करीब पंद्रह मिनट तक यह युवक दर्द से कराहता रहा लेकिन किसी ने मदद का हाथ आगे नहीं बढ़ाया. आरोप है कि यह हमला भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कुछ कार्यकर्ताओं ने किया था, क्योंकि सदानंदन मास्टर ने वामपंथ से दूरी बनाकर दूसरी विचारधारा की ओर रुख किया था. इस दर्दनाक घटना के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और शिक्षा और समाज सेवा में सक्रिय बने रहे.

शांति के लिए हमेशा बुलंद की है आवाज

अपनी शुरुआती दौरे से ही सदानंदन मास्टर केरल में राजनीतिक हिंसा के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. उन्होंने बार-बार यह कहा है कि राजनीतिक मतभेद के बावजूद समाज में शांति बनाए रखना जरूरी है. वे भारतीय विचार केंद्र से भी जुड़े हैं, जो केरल में वैचारिक और सामाजिक कार्यों से जुड़ा संगठन है. सदानंदन मास्टर की पत्नी वनीता रानी भी शिक्षिका हैं. उनकी बेटी यमुना भारती बीटेक की छात्रा हैं. उनका पूरा परिवार शिक्षा और समाज सेवा से जुड़ा हुआ है.

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