सर्वाइकल कैंसर का खतरा युवा महिलाओं को सबसे ज्यादा

स्वास्थ्य। शरीर के किसी भी हिस्से में कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि की वजह कैंसर होता है। कैंसर कई तरह के होते हैं। इनमें से एक सर्वाइकल कैंसर होता है, जो महिलाओं में होने वाला कॉमन कैंसर है। दुनियाभर में हर साल बड़ी संख्‍या में महिलाएं सर्वाइकल कैंसर की वजह से अपनी जान गंवा देती हैं। चिंताजनक बात यह है कि सर्वाइकल कैंसर का खतरा कम उम्र की महिलाओं को ज्यादा होता है। आइए जानते हैं सर्वाइकल कैंसर क्या है, इसके क्या लक्षण होते हैं और इससे किस तरह बचा जा सकता है-

सर्वाइकल कैंसर महिलाओं की बच्चेदानी के मुख में होने वाला कैंसर है। इसे बच्चेदानी के मुंह का कैंसर भी कहा जाता है। आमतौर पर 35 साल से लेकर 50 साल की उम्र वाली महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। यह कैंसर दो तरह का होता है- पहला लो ग्रेड और दूसरा हाई ग्रेड। लो ग्रेड कैंसर धीरे-धीरे फैलता है, जबकि हाई ग्रेड कैंसर तेजी से फैलता है और इसमें मौत का खतरा ज्यादा होता है।

ऐसी महिलाओं को खतरा ज्यादा:-

सर्वाइकल कैंसर का खतरा उन महिलाओं को ज्यादा होता है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है और एचआईवी या अन्य कोई गंभीर बीमारी होती है। मल्टीपल सेक्सुअल पार्टनर, जेनिटल हाइजीन की कमी और जल्दी बच्चे होने वाली महिलाओं को इसका जोखिम ज्यादा होता है। इसके अलावा स्मोकिंग करने से भी सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। 30 साल की उम्र के बाद महिलाओं को इससे बचने के लिए समय-समय पर स्क्रीनिंग करानी चाहिए। सर्वाइकल कैंसर का पता प्री-कैंसरस स्टेज में भी लगाया जा सकता है और सही इलाज के जरिए कैंसर से बचा भी जा सकता है।

– पार्टनर के साथ संबंध बनाने के बाद ब्लीडिंग।
– पीरियड्स के बीच अनियमित माहवारी होना।
– बदबूदार पानी आना या ब्लड स्ट्रीम डिस्चार्ज।
– मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होना।

सर्वाइकल कैंसर का ट्रीटमेंट और बचाव:-

डॉक्टर के अनुसार सर्वाइकल कैंसर अगर शुरुआती स्टेज में हो, तो सर्जरी के जरिए इसका इलाज किया जाता है। एडवांस स्टेज में कीमोथेरेपी की जरूरत होती है। हर मरीज की कंडीशन को देखकर ही ट्रीटमेंट किया जाता है। जितना जल्दी इसका पता लग जाए, मौत का खतरा उतना कम हो सकता है। बचाव की बात करें, तो सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए HPV का टीका लगवाएं और अपनी इम्यूनिटी को बूस्ट करें। स्मोकिंग से दूरी बनाएं और संबंध बनाते वक्त कॉन्ट्रासेप्टिव इस्तेमाल करें। समय-समय पर गायनेकोलॉजिस्ट से मिलकर अपनी जांच करवाएं।

 

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