हिंसक विरोध से समाधान नहीं

नई दिल्ली। अग्निपथ भर्ती योजना के विरोध की आग अब पूरे देश में फैल रही है। जगह-जगह हिंसक प्रदर्शन हो रहे जिसमें भारी नुकसान भी हो रहा है। चार दिनों से जारी इस हिंसक विरोध की चपेट में देश के 14 राज्य आ गये हैं। इनमें बिहार,  झारखंड, बंगाल,  उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, उत्तराखण्ड,  हिमाचल प्रदेश,  राजस्थान,  हरियाणा,  आंध्रप्रदेश, तेलंगाना,  महाराष्ट्र सहित अनेक राज्य शामिल हैं।

अगर इसे जल्दी नहीं रोका गया तो आगे स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है। केन्द्र सरकार ने तीनों सेनाओं में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना शुरू की है, जिससे कि युवाओं को सेना में सेवा करने का अवसर मिल सके। इसमें 17 वर्ष छह माह से लेकर 21 वर्ष की उम्र के युवाओं को चार वर्षों के लिए सेना में सेवा करने का प्रावधान किया गया है।

21 वर्ष की सीमा को भी बढ़ा कर 23 साल कर दिया गया है। इसमें आकर्षक वेतन तथा अन्य सुविधाएं देने की व्यवस्था है। इस योजना में भर्ती युवाओं में से 25 प्रतिशत अग्निवीरों को आगे भी सेवा करने का अवसर दिया जाएगा। शेष लोगों को देय धनराशि के साथ मुक्त कर दिया जाएगा।

अनेक राज्यों और स्वराष्ट्र मंत्रालय के अधीन अर्धसैनिक बलों में सेवा करने के लिए उन्हें प्राथमिकता देने की भी घोषणा की गई है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने केन्द्र सरकार के अनुमोदन से ऊपरी उम्र सीमा में दो वर्षों की वृद्धि कर दी है। यह वृद्धि कोरोनाकाल के कारण की गई है, क्योंकि इस दौरान सेना में भर्ती नहीं हुई।

वायुसेना प्रमुख वी.आर. चौधरी ने 24 जून से अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा कर दी है। इसके बावजूद हिंसक विरोध प्रदर्शन का सिलसिला नहीं थम रहा है। प्रदर्शनकारी तोड़फोड़, पथराव, आगजनी की घटनाओं को अंजाम दे रहे है। ट्रेन और बसों के अतिरिक्त सार्वजनिक सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाई जा रही है।

देश भर में लगभग 250 से अधिक ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुई हैं। ट्रेनों की बोगियों और कई रेलवे स्टेशनों को आग के हवाले कर दिया गया। इससे सामान्य जन- जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। ट्रेने रद्द की गई जिससे रेलवे को भारी नुकसान हुआ वहीं बोगियों और स्टेशनों पर आगजनी से भी करोड़ों का नुकसान हुआ। यात्रियों की फजीहत हुई वह अलग से।

हिंसक घटनाओं के चलते विभिन्न स्थानों पर दुकान और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद कर दिए गए। जगह-जगह बंदी से रोजमर्रा की जिंदगी पर व्यापक असर पड़ा है। प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने में सुरक्षाबलों को पूरी तरह से सफलता नहीं मिल पा रही है। हर जगह स्थिति अत्यन्त ही चिन्ताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण हो गई है। हर हाल में हिंसक प्रदर्शन का दौर थमना चाहिए और बातचीत से ही सही निर्णय करना चाहिए। लोकतांत्रिक समाज में हर किसी को विरोध करने का अधिकार है लेकिन यह हिंसक नहीं होना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *