Navratri 2023 1st Day: कौन है मां शैलपुत्री? नवरात्रि के पहले दिन कैसे करें इनकी पूजा, जानें पौराणिक कथा

Shardiya Navratri 2023 1st Day Maa Shailputri Puja Vidhi: नवरात्रि के नौ दिनों का पर्व पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 से हो रही है. बता दें कि इस नवरात्रि में जगह-जगह पंडाल बना कर मां दुर्गा  की पूजा की जाती है. इसलिए इस पर्व को दुर्गापूजा भी कहते है.

नवरात्रि के 09 दिनों में 09 देवियों की विशेष पूजा का विधान है. इसी दौरान नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ मां शैलपुत्री की विशेष रूप से पूजा की जाती है. ऐसे में चलिए जानते हैं नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा कैसे करें और क्या है पूजा की विधि, मंत्र, तथा धार्मिक महत्व?

मां शैलपुत्री का स्वरुप
दरअसल, मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. इनके एक हाथ में त्रिशुल और दूसरे हाथ में कमल का फूल लिए हुए नंदी नामक बैल पर सावर हैं. शैलपुत्री के अलावा इन्हें वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि मां शैलपुत्री समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक हैं.

मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा
आपको बता दें कि नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है.  दरअसल, पौराणिक कथाओं के अनुसार माता शैलपुत्री का जन्म इससे पहले राजा दक्ष की पुत्री सती के रूप में हुआ था और इनका विवाह भगवान शिव से हुआ था. एक बार राजा दक्ष ने महायज्ञ किया. इस दौरान उन्होंने सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, किंतु भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया. इस दौरान देवी सती बगैर निमंत्रण के ही वहां पहुंच गईं. उन्होंने वहां देखा कि वहां कोई उनका आदर नहीं कर रहा यहां तक कि उनकी सगी बहनें भी उनका उपहास उड़ा रही थीं.

वहीं स्वयं प्रजापति दक्ष ने भी उनका अपमान किया. सती सबका ऐसा रवैया बर्दाश्त नहीं कर पाईं. इसके बाद सती ने उसी यज्ञ में कूदकर आहुति दे दी और भस्म हो गईं. जैसे ही भगवान शिव को यह बात पता चली, वे क्रोधित हो गए. उनके गुस्से की ज्वाला ने यज्ञ को ध्वस्त कर दिया. कहा जाता है कि सती ने फिर हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और वहां जन्म लेने की वजह से ही इनका नाम शैलपुत्री पड़ा.

 

ऐसे करें मां शैलपुत्री की पुजा  

  • नवरात्रि के पहले दिन स्नान करने के बाद एक चौकी पर लाल रंग के वस्त्र को बिछाकर मां शैलपुत्री की प्रतिमा स्थापित करें.
  • इसके बाद कलश स्थापना करें, कलश के उपर कलावा बांधे और उसके ऊपर आम और अशोक के पत्ते रखे.
  • अब मां शैलपुत्री का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें.
  • माता को रोली-चावल लगाएं और सफेद फूल, सफेद वस्त्र चढ़ाएं.
  • इसके बाद मां की देसी घी के दीपक से आरती उतारें.
  • मां शैलपुत्री की पूजा में गाय का घी और उससे बना बना भोग विशेष रूप से लगाएं.
  • मां शैलपुत्री की पूजा में ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:’ का विशेष रूप से जप करें.
  • अब आप विधि विधान से पूजा करें. पूजा के अंत में दुर्गा चालीसा अवश्य पढ़ें.
  • शैलपुत्री की पूजा से साधक को सुख, संपत्ति, सौभाग्य के साथ आरोग्य की प्राप्ति होती है.

 

 

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