SC: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (25 अगस्त, 2025) को कहा कि सोशल मीडिया पर प्रभावशाली लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का व्यवसायीकरण करते हैं और उनकी टिप्पणियों से विविध समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचने की संभावना रहती है, जिसमें दिव्यांग, महिलाएं, बच्चे, वरिष्ठ नागरिक और अल्पसंख्यक शामिल हैं.
पांचों इन्फ्लुएंसरों को निर्देश
जस्टिस सूर्यकांत और जोयमाल्या बागची की पीठ ने पांचों इन्फ्लुएंसरों को निर्देश दिया कि वे अपने शो या पाडकास्ट के दौरान दिव्यांगों और आनुवंशिक विकारों से ग्रसित लोगों का उपहास करने के लिए बिना शर्त माफी मांगें. कोर्ट ने कहा कि इन लोगों पर कितना जुर्माना लगाया जाएगा, इस पर बाद में विचार होगा. कोर्ट ने उनसे पूछा है कि वे कितना जुर्माना भरने को तैयार हैं. इस जुर्माने का उपयोग स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) जैसे दुर्लभ आनुवंशिक विकार से पीड़ित लोगों के इलाज में किया जाएगा.
सूचना प्रसारण मंत्रालय को पक्षकार बनने की मंजूरी
कोर्ट ने सूचना प्रसारण मंत्रालय को पक्षकार बनने की मंजूरी दे दी और अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा कि वह सभी हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखते हुए इंटरनेट मीडिया पर सामग्री को रेगुलेट करने के बारे में दिशा-निर्देश तैयार करें. वेंकटरमणी ने कोर्ट को बताया कि सरकार दिशा-निर्देश तैयार करने की प्रक्रिया में है. लेकिन, उन्होंने किसी गैग आर्डर की संभावना से इन्कार किया.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का व्यवसायीकरण
जज बागची ने कहा, ‘जब आप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का व्यवसायीकरण कर रहे हैं, तो आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि समाज के कुछ वर्गों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे.’ जज कांत ने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के बारे में असंवेदनशील चुटकुले बनाकर उन्हें मुख्यधारा में लाने का संवैधानिक उद्देश्य पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है.
सोशल मीडिया यूजर्स को संवेदनशील बनाना होगा
न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि न्यायालय एक क्षण के लिए भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का प्रयास नहीं कर रहा है, बल्कि वह प्रस्तावित दिशानिर्देशों से यह अपेक्षा कर रहा है कि वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आहत करने वाले भाषण के बीच एक रेखा खींचेंगे. केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने जवाब दिया कि प्रस्तावित दिशानिर्देशों का प्राथमिक उद्देश्य सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को संवेदनशील बनाना होगा.