जानें सीखने की सही उम्र क्या है?

लाइफ स्टाइल। ‘सीखने की कोई उम्र नहीं होती’ ऐसा सिर्फ कहा ही नहीं जाता बल्कि उम्र के अलग-अलग पड़ावों पर नई-नई चीजें सीखकर लोगों ने इसे साबित भी कर दिया है। चाहे ड्राइविंग हो, नई भाषा हो, खेल, कोई स्किल या नई तकनीक ही क्‍यों न हो। लेकिन इसके बावजूद देखा गया है कि 25-30 साल की उम्र के बाद लोग कुछ भी नया सीखने के नाम से घबराने लगते हैं। महिलाएं हों या पुरुष इस बात से डरे रहते हैं कि वे सीख पाएंगे या नहीं। कई बार लोग भूल जाने या लंबे समय तक सीखी गई तकनीक या स्किल को याद न रख पाने की भी शिकायत करते हैं, जबकि बचपन में सीखा गया हुनर या किए गए काम उन्‍हें पूरी तरह याद रहते हैं, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि कुछ भी नया सीखने की सबसे सही उम्र क्‍या है? क्‍या वास्‍तव में 30 की उम्र के बाद नई चीजें सीखने में परेशानी होना शुरू हो जाती है?

ब्रेन शरीर का एक आश्‍चर्यजनक हिस्‍सा है। इसके अंदर कुछ भी सीखने की जबरदस्‍त क्षमता होती है। बचपन में शरीर के साथ-साथ ब्रेन भी बढ़ रहा होता है। वहीं टीनएज और उसके बाद तक भी इसका विकास तेजी से होता है। ऐसे में इस अवधि में जो भी नई चीजें सीखी जाती हैं वे सभी ब्रेन में स्थिर हो जाती हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ ये चीजें मस्तिष्‍क की आदत में आ जाती हैं फिर चाहे वह पढ़ाई-लिखाई हो, भाषा हो, कोई खेल, एक्टिविटी या कोई तकनीक हो। यही वजह है कि शुरुआती उम्र में सीखी गई चीजें आसानी से नहीं भूलतीं और लंबे समय तक याद रहती हैं। मान लीजिए ड्राइविंग सीखने के बाद आपने 2 साल गाड़ी नहीं भी चलाई है, ब्रेन की क्षमता है कि फिर भी आपको वह याद रहेगी।

सीखने की कौन सी उम्र है बेस्‍ट:-

आप कितना जल्‍दी किसी चीज को सीख पाएंगे, ये निर्भर करता है कि उस वक्‍त कितनी बड़ी संख्‍या में आपके ब्रेन सेल्‍स एक्टिव रहते हैं? आमतौर पर मनुष्‍यों के ब्रेन सेल्‍स 20-22 साल की उम्र तक सबसे ज्‍यादा संख्‍या में एक्टिव होते हैं। इस उम्र में सीखी गई कोई भी एक्टिविटी या तकनीक लंबे समय तक याद रहती है। इस दौरान ब्रेन के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स का भी विकास होता है जो एक्‍जीक्‍यूशन के लिए जिम्‍मेदार है। ऐसे में वैज्ञानिक रूप से कहा जा सकता है कि 22 साल तक चीजें आसानी से सीखी जा सकती हैं, हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि इसके बाद मस्तिष्‍क मंद पड़ जाता है और सीखने की क्षमता खत्‍म हो जाती है।

बहुत सारी चीजें सोच पर निर्भर करती हैं। इस उम्र तक पहुंचते-पहुंचते व्‍यक्ति और ब्रेन दोनों परिपक्‍व हो चुके होते हैं, ऐसे में जो भी चीजें यहां पहले से दर्ज हैं और आदत में हैं, वे आसान लगती हैं, जबकि नई चीजें या नए काम सीखने को लेकर एक प्रकार की एंग्‍जाइटी या अरुचि होती है। ये भी एक वजह है कि इस उम्र के बाद सीखने में परेशानी हो सकती है। हालांकि 35-40 की उम्र में भी लोग नई चीजें सीखते हैं, जॉब एकदम से बदल देते हैं। गिटार, वायलिन बजाना सीखते हैं, नई भाषा सीख लेते हैं।

इस बात पर निर्भर करता है सीखना:-

कई बार बच्‍चे बचपन में भी नहीं पढ़ते हैं। वे कहते हैं पढ़ने में मन नहीं लगता, कुछ याद नहीं रहता। जबकि 40 के पार भी लोग नई चीजें सीख रहे होते हैं, वे हमेशा एक्टिव होते हैं। यह निर्भर करता है सीखने की ललक पर। सीखने के जुनून के साथ जब भावनाएं यानि इमोशंस भी जुड़ जाते हैं तो सीखने की क्षमता दोगुनी हो जाती है। जबकि अनमने ढंग से या बिना इच्‍छा के सीखी गई चीज न तो याद रहती है और न ही ढंग से सीखी जाती हैं।

 

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