क्‍यों कैलाश पर्वत है अभेद्य पर्वतारोहियों ने साझा किया विचित्र अनुभव,

kailash parvat : हमारे देश में पृथ्वी पर अनगिनत पर्वत हैं, जिनमें से लगभग हर पर्वत को इंसान ने फतह कर लिया है। वर्तमान में इंसानों ने दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत श्रेणी  एवरेस्ट पर भी विजय प्राप्त कर लिए हैं। ऐवरेस्ट पर्वत की ऊंचाई 29,000 फीट है जिस पर सैकड़ों लोग जा चुके हैं लेकिन कैलाश पर्वत एक मात्र ऐसा पर्वत है जो केवल 22,000 की ऊँचाई पर है, फिर भी आज तक वहां कोई नही पहुंच सका। कैलाश पर्वत न केवल अपनी भौगोलिक संरचना के लिए बल्कि अपनी आध्यात्मिक, रहस्यमयी ताकतों के लिए भी जाना जाता है। सभी के धर्म के लोग हर वर्ष इस पर्वत के दर्शनों के लिए जाते हैं। साल 2025 में 30 जून से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होगी। 

कैलाश पर्वत पर जानें वालों की कोशिशें और असफलताएं

अब तक कई पर्वतारोहियों ने इस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की है, लेकिन हर असर वह असफल रहे। 2007 में रूसी पर्वतारोही सर्गे सिस्टिकोव ने अपनी टीम के साथ मिलकर कैलाश पर चढ़ने का असफल प्रयास किया था। बहुत कोशिश के बाद कुछ ऊँचाई तक तो सर्गे और उनकी टीम पहुंच गई लेकिन जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ने लगी सर्गे और उनकी पूरी टीम को भयंकर सिरदर्द होने लगा, तबियत अचानक खराब होने लगी। सर्गे के अनुसार, उनहोनं बताया कि “मुझे ऐसे महसूस होने लगा कि यह पर्वत मुझे स्वीकार नहीं कर रहा। उसी दौरान मैंने पर्वत से नीचे उतरना ही बेहतर समझा।”

कैलाश पर्वत पर जानें वालों का अनुभव

कैलाश पर्वत की सर्गे सिस्टिकोव, कर्नल विल्सन की टीम ने अपने अनुभव साझा करते हुए कैलाश के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि-

  • यहां बाल और नाखून असामान्य रूप से तेजी से बढ़ने लगते हैं।
  • कुछ पर्वतारोहियों ने यहाँ समय का विचलन महसूस किया और कहा कि समय यहां तेज़ी से गुजर रहा है ऐसा महसूस होता है।
  • शरीर पर बढ़ती उम्र के लक्षण अचानक प्रकट होने लगते हैं चेहरे पर झुर्रियाँ और थकावट दिखने लगती है।
  • यहां की हवा में एक अनकही शक्ति है जो मन और शरीर को असहज महसूस करने पर मजबूर कर देती है।

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