SC: इस दिन CJI का पदभार संभालेंगे न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई, अनुच्छेद 370 से लेकर नोटबंदी तक के मामले में सुना चुके हैं फैसला

Justice Gavai : प्रधान न्यायाधीश के तौर पर न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई के नाम पर मुहर लग गई है। न्यायमूर्ति गवई 14 मई को सीजेआई का पदभार संभालेंगे। मौजूदा सीजेआई न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का 13 मई को कार्यकाल समाप्त हो जाएगा, जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे। कानून मंत्रालय ने जस्टिस गवई की भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी है। 16 अप्रैल को सीजेआई खन्ना ने उनके नाम की सिफारिश की थी। जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा।

52वें मुख्य न्यायाधीश होंगे जस्टिस गवई

कार्यकाल के अनुसार, वर्तमान सीजेआई अपने उत्तराधिकारी के रूप में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश की सिफारिश करते हैं। जस्टिस गवई मामले के क्रम में सबसे आगे हैं, जिसके चलते उनके नाम की सिफारिश की गई है। इससे पहले कानून मंत्रालय ने सीजेआई जस्टिस खन्ना से नाम देने की आधिकारिक अपील की थी।

इस प्रकार रहा करियर

न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने 16 मार्च, 1985 को वकालत शुरू करने वाले नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्होंने अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सरकारी वकील के रूप में सेवा दी। 17 जनवरी, 2000 को उन्हें नागपुर खंडपीठ के लिए सरकारी वकील नियुक्त किया गया। 14 नवंबर, 2003 को वे बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने और 12 नवंबर, 2005 को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। 24 मई, 2019 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया। जिनके फैसलों का महत्वपूर्ण प्रभाव रहा।

नोटबंदी के फैसले की स्वीकृति
  • उनके सदस्यता के पांच जजों की पीठ ने राजनीतिक फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया। वे 2016 के नोटबंदी निर्णय को 4:1 के बहुमत से मंजूरी देने वाली संविधान पीठ में भी शामिल रहे।
  • जस्टिस गवई की देशभर में संपत्ति विध्वंस के लिए 15 दिन की वतह बताने को कहा गया। नोटिस व जवाब का समय अनिवार्य करने का दिशानिर्देश जारी किया। यह फैसला नागरिक अधिकारों की रक्षा से संबंधित है।
वणियार आरक्षण (2022)

तमिलनाडु सरकार के समुदाय को विशेष रूप से आरक्षण देने के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया, क्योंकि यह अन्य पिछड़ा वर्गों के साथ कठोर व भेदभावपूर्ण था।

नोटबंदी (2023)

2016 की नोटबंदी योजना को 4:1 बहुमत से वैध ठहराते हुए कहा कि यह निर्णय केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच परामर्श के बाद लिया गया था और यह “अनुपातिकता की कसौटी” पर खरा उतरता है।

ईडी निदेशक का कार्यकाल (2023)

जुलाई 2023 में जस्टिस गवई की बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को करार दिया और उन्हें 31 जुलाई 2023 तक पद छोड़ने का निर्देश दिया था।

बुलडोजर कार्रवाई (2024)

2024 में, जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की टीम का कहना था कि केवल आरोपी या दोषी होने के आधार पर किसी की संपत्ति को ध्वस्त करना कानूनी अपराध है। बिना कानूनी प्रक्रिया के कार्रवाई नहीं कर सकते, अगर होती है तो संबंधित अधिकारी इसका जिम्मेदार होगा।

सभी अन्य फैसले
  • मोदी सरनेम केस में कांग्रेस नेता को राहत दी थी। इस केस में दो साल की सजा के बाद लोकसभा से अयोग्य करार दिया गया था।
  • दिल्ली शराब घोटाले में दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत दी।
  • दिल्ली शराब घोटाले में बीआरएस नेता के कविता को भी जमानत दी।
  • सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ को जमानत दी।

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