सभी लोगों में इम्युनिटी को विकसित करना है जरूरी….

नई दिल्‍ली। दुनियाभर में कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट ने कहर मचाया है। हालिया स्टडीज में कहा गया है कि ओमिक्रॉन स्वरूप लोगों में तेजी से फैल रहा है, जिससे नए संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़ता जा रहा है। हालांकि इससे होने वाली मौतों को लेकर वैज्ञानिकों ने कोई बड़ा दावा नहीं किया है। वहीं दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन के डेटा को भी देखा जाए तो सामने आता है कि ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने (हॉस्पिटलाइजेशन) या उनकी मौत होने के मामले काफी कम हैं। इसके बावजूद रिसर्चर्स अभी पूरी दुनिया से अपील कर रहे हैं कि उन्हें इसके असर को देखने के लिए रुकना चाहिए और पूरे एहतियात बरतने चाहिए। हालांकि इस बीच कई डॉक्टरों की तरफ से दावा किया जा रहा है कि ओमिक्रॉन काफी कम घातक है। इसलिए सरकारों को इसे लॉकडाउन और कर्फ्यू लगाकर रोकने के बजाय पूरी आबादी में फैलने देना चाहिए। इस दौरान जिन चिकित्सकों की तरफ से यह बात कही गई है, उनमें एक बड़ा नाम अमेरिकी डॉक्टर एफशाइन इमरानी का है, जो कि कैलिफोर्निया स्थित लॉस एंजेलिस के जाने-माने हार्ट स्पेशलिस्ट हैं और कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने सैकड़ों कोरोना मरीजों को संभालने में मदद की। चूंकि ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा के मुकाबले हवा में 70 गुना तेजी से बढ़ता है, इसलिए इसकी प्रसार गति काफी तेज है। लेकिन यह लोगों को डेल्टा वैरिएंट की तरह बीमार क्यों नहीं कर रहा, इसके पीछे अब तक जो रिसर्च सामने आई हैं, उनमें पाया गया कि ओमिक्रॉन वैरिएंट ब्रॉन्कस (Bronchus) यानी फेफड़ों और श्वास नली को जोड़ने वाली नली में खुद को तेजी से बढ़ाता है। जबकि फेफड़ों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ता। डॉक्टरों का दावा है कि ओमिक्रॉन फेफड़ों में पहुंचकर डेल्टा के मुकाबले काफी धीमी रफ्तार से संक्रमण फैलाता है। इसलिए ओमिक्रॉन संक्रमितों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ रही। इसके अलावा हमारी श्वासनली में भी एक म्यूकोसल इम्यून सिस्टम होता है, जो कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का केंद्र होता है। तो जैसे ही ओमिक्रॉन यहां फैलना शुरू होता है, यह केंद्र अपने आप सक्रिय हो जाता है और इससे निकलने वाली एंटीबॉडी ओमिक्रॉन को खत्म कर देती हैं। यानी ओमिक्रॉन शरीर में ही गंभीर बीमारी के तौर पर नहीं पनप पाता। इसलिए ओमिक्रॉन एक वरदान के जैसा है। डॉक्टर इमरानी का तर्क है कि यह नहीं कहा जा सकता कि ओमिक्रॉन से मौतें नहीं होंगी, पहले से किसी बीमारी से पीड़ित लोग तो प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन स्वस्थ लोगों को खास दिक्कत नहीं आएगी। इसी तरह ओमिक्रॉन एक नेचुरल वैक्सीन बन जाएगा और महामारी का खात्मा तय है।

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