क्‍या कंपनियों की गुटबंदी भी है महंगाई का कारण ?

नई दिल्ली। बढ़ती महंगाई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनी है। इस महंगाई का प्रमुख कारण सामानों की कालाबाजारी और बाजार पर कुछ कम्पनियों का एकाधिकार भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सामान का कृत्रिम अभाव दिखा कर आपूर्ति को असंतुलित कर महंगाई  को हवा दी जाती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह कहना उचित है कि बाजार में गुटबंदी की चुनौती पर ध्यान देने की जरूरत है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के सालाना कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए वित्तमंत्री ने जो चिन्ता जाहिर की है, उस पर तेजी के साथ काम किये जाने की जरूरत है।

बाजार पर एकाधिकार को समाप्त करने के लिए सरकार को ठोस उपाय करने होंगे। आपूर्ति बाधित होने के मामलों की पड़ताल होनी चाहिए। महामारी और यूरोप में युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर जिन्सों और कच्चे माल की कमी हो गयी है और आपूर्ति भी बाधित हो रही है। आपूर्ति को लेकर कई तरह और कई स्तर पर बाधाएं आयी हैं, जिसकी पड़ताल जरूरी है कि क्या महामारी और युद्ध की वजह से ही है या इसका कोई और दूसरा कारण है। ऐसी चुनौतीपूर्ण स्थिति में गुटबंदी काफी खतरनाक साबित हो सकती है। गुटबंदी के कारण ही सामान के दाम बढ़ते हैं। बाजार में एक-दो कम्पनियों का एकाधिकार कायम न हो, इसके लिए सरकार निगरानी तंत्र को मजबूत बनाने की जरूरत है, जिससे कालाबाजारियों पर अंकुश लगाया जा सके।

कोविड महामारी के बाद बढ़ती मुद्रास्फीति सरकार के लिए चिन्ता का विषय बन गयी है। सामान की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद सांठ- गांठ कर आपूर्ति को प्रभावित करके कृत्रिम कमी पैदा करने की कोशिश हो रही है, जिससे महंगाई में तेज उछाल आ रहा है, जबकि भारत के पास अपनी मांगों को पूरा करने के साथ निर्यात की भी क्षमता है। बाजार को नियंत्रित रखने के लिए सरकार को ऐसा निगरानी तंत्र बनाना होगा जो कालाबाजारियों पर नजर रख सके और उनके खिलाफ सख्त काररवाई कर सके।

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