इन योगासनों के अभ्‍यास से स्‍वास्‍थ्‍य रहता है बेहतर…

योग। पिछले कुछ समय से बिगड़ी लाइफस्टाइल और खान-पान ने शारीरिक और मानसिक दोनो तरह के स्‍वास्‍थ्‍य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। विशेषकर जीवनशैली की निष्क्रियता ने कई तरह की बीमारियों के जोखिम को बढ़ा दिया है।

इसी कारण कम उम्र के लोगों में भी कई तरह की बीमारियों का खतरा काफी बढ़ गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि, योगासनों को दिनचर्या में शामिल करना बेहतर विकल्प हो सकता है। यह शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखने में लाभकारी माना जाता है।

हर उम्र के लोगों को नियमित रुप से योगाभ्यास की आदत बनानी चाहिए। योग विशेषज्ञ कहते हैं, तनाव-अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से लेकर गठिया, फेफड़े और हृदय से संबंधित विकारों के जोखिम को कम करने तक के लिए योगासनों की आदत बनाना आपके लिए फायदेमंद  होता है।

अनुलोम-विलोम प्राणायाम का अभ्यास:-

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कई तरह की समस्याओं के जोखिम को कम करने के लिए अनुलोम-विलोम प्राणायाम के अभ्यास को विशेषज्ञ बेहद फायदेमंद मानते हैं। सांस के इस अभ्यास को इसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर कई तरह के प्रभावों के लिए जाना जाता है। इस योग का अभ्यास धैर्य, ध्यान और नियंत्रण को बढ़ाने के साथ तनाव और चिंता से राहत दिलाने में मददगार है। मस्तिष्क, श्वसन और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए इसके नियमित अभ्यास की आदत बनाएं।

वृक्षासन का अभ्यास:-

वृक्षासन या ट्री पोज़ पूरे शरीर को स्वस्थ और सक्रिय बनाए रखने के लिए कारगर योगसन है। शरीर के संतुलन में सुधार करने के साथ शारीरिक मुद्रा को ठीक रखने, आपके कमर, जांघों, कूल्हों की मांसपेशियों में रक्त के संचार को बढ़ाने और दर्द से राहत दिलाने में इसका अभ्यास फायदेमंद माना जाता है। वृक्षासन का अभ्यास आपके कोर को मजबूत करने के साथ पैरों और जांघों की समस्याओं को कम करने के लिए फायदेमंद होता है।

गहरी सांस वाले अभ्यास की बनाएं आदत:-

गहरी सांस वाले अभ्यास की आदत काफी आसान है और इसे सभी उम्र वाले लोग सरलता से करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं। खासतौर पर मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए गहरी सांस वाले अभ्यास की आदत को काफी फायदेमंद माना जाता है। चिंता और तनाव के प्रबंधन से लेकर ध्यान केंद्रित करने और बेहतर नींद प्राप्त करने के लिए इस योग को काफी फायदेमंद माना जाता है। हृदय और फेफड़े की क्षमता भी इस अभ्यास से बढ़ती है।

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