मूल वेदों में है भगवान की सभी लीलाएं: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। भगवान नारायण ने तीन पग में संपूर्ण ब्रह्मांड नाप लिया। भगवान् इसको चरितार्थ करने के लिए त्रेतायुग में वावन रूप में अवतरित होकर तीन पग में ब्रह्माण्ड को नाप कर दिखा दिया। भगवान की जितनी लीला हुई या होगी, उन सबका मूल वेदों में है, क्योंकि वेद अनादि है। नृसिंह भगवान की कथा में प्रसंग आया कि- प्रह्लाद जी ने राम नाम का जप किया। राम नाम जपतां कुतो भयं, पश्य तात ममगात्र सन्निधौ पावकोऽपि सलिलायते धुना। तो किसी ने प्रश्न किया कि- भगवान का जन्म त्रेता में हुआ तो सतयुग में प्रह्लाद जी ने राम नाम का जप कैसे किया। कल्प कल्प प्रति प्रभु अवतरहीं। चारु चरित नाना विधि करहीं ।। राम नाम भगवान का नित्य नाम है। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करिए। रामो विरामो विरजो मार्गो नेयो नयः। वीरः शक्तिमतां श्रेष्ठो धर्मो धर्म विदुत्तमः।। भगवान के सोलह नामों का स्मरण विष्णु सहस्रनाम में है। श्री कृष्ण नाम भी विष्णु सहस्रनाम में है। भगवान का एक नाम बासुदेव है ये नाम भगवान ने द्वापर में सार्थक किये।

वसुदेव जी के यहां अवतीर्ण हुए। लेकिन वासुदेव भगवान का नाम नित्य है, अनादि है। सतयुग में श्री ध्रुव जी ने इसी नाम का जप किया। ध्रुव ही नहीं, ध्रुव के पिता के पिता स्वायंमनु- शतरूपा ने नैमिषारण्य में इसी नाम का जप किया। द्वादश अक्षर मंत्र कर जपहिं सहित अनुराग। वासुदेव पद पंकरुह दम्पति मन अतिलाग।। भगत बछल प्रभु कृपा निधाना। विश्वास प्रगटे भगवाना।।यहां इस मंत्र का अर्थ है वासनात् वासुदेवस्य वासितं भूरत्रयं- जो कण-कण में वास करते हैं। उनको वासुदेव कहते हैं। जो वसुदेव के पुत्र हैं उनको भी वासुदेव कहते हैं। भगवान के जितने नाम हैं, जितने रूप हैं, वह नित्य हैं और दिव्य हैं। वेदों में जो भगवान का चरित्र है वो अवतार लेकर भगवान चरितार्थ करते हैं। विष्णुर गोपो अदाभ्यः वेदों ने कहा भगवान विष्णु गोप बने। वहां गोप का अर्थ है- गोपयति रक्षति- गोप्ता- रक्षक,एवं गोप मतलब गोप जाति भी है।इस श्रुति को भगवान कृष्णावतार में चरितार्थ कर दिए। गोप के घर में प्रकट होकर गोप बने। गोपन भी किये। रक्षा की, किसकी रक्षा की? गोवर्धन को कनिष्ठा अंगुली पर धारण करके पूरे ब्रजमंडल की रक्षा की। परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज ने बताया कि- कल की कथा में भक्त श्री सुदामा जी की मंगलमय कथा के साथ श्रीमद् भागवत सप्ताह का विराम होगा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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