काल का दूसरा नाम है विघ्न: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्या मोरारी बापू ने कहा कि श्री गणेश भगवान का स्मरण कर लिया, आपका जीवन मंगलमय हो गया। यदि आप श्री गणेश पुराण सुन लोगे तो आपके मन में श्री गणेश जी के प्रति श्रद्धा जरूर जगेगी और गणपति में श्रद्धा जागृत हो गई, तो आपके बिगड़े काम बनते चले जायेंगे। भगवान गणेश तो विघ्नहर्ता है, लेकिन उनके जो गण है, वो विघ्न कर्ता भी हैं। विघ्नों पर शासन करना ये सबके बस का नहीं है। आने वाले विघ्नों को रोक लेना ये सबके बस का रोग नहीं है। विघ्न नाम है काल का, काल का ही दूसरा नाम विघ्न है। उस काल से आप जूझ नहीं सकते, सफल नहीं हो सकते। इसलिये भगवान् गणपति विघ्नों को अपने अधिकार में रख लिये हैं। रोक देते हैं आगे नहीं जाव, ये मेरा भक्त है। मेरा पूजन कर रहा है। जो देव गणेश कृपा करने लगते हैं गण भी सहायता करना शुरू कर देते हैं। एक अभिनंदर नाम का राजा था। उसने यज्ञ आरंभ किया, लेकिन इंद्र को नहीं बुलाया, इंद्र का आसन नहीं रखा, इंद्र को क्रोध आ गया। इंद्र ने विघ्न का आवाहन किया, काल विघ्न बनकर आ गया, उसने अभिनंदर राजा को मार दिया और उनका यज्ञ समाप्त कर दिया। उसका नाम ही विघ्न है, उसके काम भी विघ्न वाले हैं। सभी देवता परेशान हो गये। उसने कहा मैं तो विघ्न डालूंगा, जरा सी कोई त्रुटि हुई विघ्न डाला। देवता परेशान हो गये। सबने मिलकर अंत में गणपति भगवान का स्मरण किया, गणपति भगवान प्रकट हुए, देवताओं ने प्रार्थना की प्रभु विघ्न से हमें बचाईए, नहीं तो हमारा कोई कार्य पूर्ण नहीं हो सकेगा। भगवान् गणपति ने कहा अभी मै इसको अपने अधिकार में लेता हूं। थोड़ा सा युद्ध हुआ और वह गणपति की शरण में आ गया। साथ ही रहने लगा। अब मेरे लिये काम? भगवान ने कहा तेरे लिए यही काम है, जो कुमार्गगामी हैं, गलत ढंग से चलते हों, गलत कार्य करते हों, उनके कार्यों में तुम विघ्न डालते रहना और जो मेरी पूजा करते हों, उनकी विघ्नों से रक्षा भी करते रहना। उसने तथास्तु कह चरणों में गिरा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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