अनुलोम विलोम करने से बढ़ती है सांस लेने की क्षमता, दिल भी होता है मजबूत, इन गंभीर समस्याओं से रहेंगे सुरक्षित

Health: शरीर को स्वस्थ रखने और प्रतिरक्षा प्रणाली के बढ़ावा देने में योग और मेडिटेशन अत्यंत लाभदायक होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक प्राणायाम ऐसा ही एक अभ्यास है जो शरीर को अदुरूनी शक्ति प्रदान करने के साथ तमाम तरह की गंभीर बीमारियों से सुरक्षित रखता है। 

अनुलोम-विलोम प्राणायाम न केवल हमारी सांस लेने की क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि हृदय को भी मजबूत बनाने में मदद करता है। यह प्राणायाम शरीर के साथ मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी मदद करता है। तो, चलिए जानते हैं इसे करने का सही तरीका और इसके फ़ायदे।

अनुलोम विलोम के फ़ायदे
सांस लेने की क्षमता होती है बेहतर

यह फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है, जिससे अधिक ऑक्सीजन शरीर में पहुँचती है और कार्बन डाइऑक्साइड बेहतर तरीके से बाहर निकलती है। यह अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं में भी फायदेमंद हो सकता है।

दिल की सेहत होती है बेहतर

अनुलोम विलोम रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है और हृदय में रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाता है। यह रक्त को शुद्ध करने और ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने में सहायक है, जिससे हृदय रोगों का जोखिम कम हो सकता है।

तनाव और चिंता कम करे

यह प्राणायाम तंत्रिका तंत्र को शांत करता है, जिससे तनाव, चिंता और डिप्रेशन के लक्षणों में कमी आती है। यह मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक स्थिरता को भी बढ़ावा देता है।

पाचन में सुधार

बेहतर रक्त परिसंचरण और ऑक्सीजन प्रवाह से पाचन क्रिया भी बेहतर होती है, जिससे कब्ज और अपच जैसी समस्याओं में राहत मिल सकती है।

अनुलोम विलोम करने का सही तरीका

अनुलोम विलोम करने के लिए एक हवादार जगह पर आप, आराम से पद्मासन मुद्रा में बैठें। अपनी रीढ़ को सीधा और कंधों को ढीला रखें। अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें। मध्यमा उंगली बाईं नासिका को नियंत्रित करेंगी। बाईं नासिका से पेट को फुलाते हुए धीरे-धीरे गहरी सांस लें। जब आपकी बाईं नासिका से सांस पूरी हो जाए तो मध्यमा उंगली से बाईं नासिका को बंद कर लें। अब दाहिने अंगूठे को हटाकर दाहिनी नासिका से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। दाहिनी नासिका से पूरी तरह सांस छोड़ने के बाद, उसी दाहिनी नासिका से फिर से गहरी सांस लें। अब, दाहिनी नासिका को अंगूठे से बंद कर लें और बाईं नासिका से सांस छोड़ें। इस तरह एक चक्र पूरा होता है। इस प्राणायाम को हमेशा खाली पेट करना चाहिए। सुबह का समय इसका अभ्यास करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। शुरुआत में 5-10 मिनट से शुरू करें और धीरे-धीरे अभ्यास का समय बढ़ाएं। 

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