Varanasi: पीएम मोदी ने संत रविदास की भव्य प्रतिमा का किया अनावरण, बोले- ‘जब भी देश को जरूरत पड़ी तो…’

Varanasi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी दौरे के दूसरे दिन सीरगोवर्धन में संत गुरु रविदास की 647वीं जयंती के मौके पर उनकी 25 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया. इसके साथ ही उन्‍होंने संत रविदास के जन्‍मस्‍थली का भी दौरा किया.  इसके बाद मंदिर में पूजा-अर्चना की और लंगर (सामुदायिक भोज) में प्रसाद ग्रहण किया. हालांकि अससे पहले पीएम मोदी काशी हिंदू विश्वविद्यालय पहुंचे. यहां उन्होंने स्वतंत्रता भवन में आयोजित कार्यक्रम में काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता के टॉपर्स को सर्टिफिकेट वितरित किया.

Varanasi: पीएम मोदी ने दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत रविदास की प्रतिमा का लोकार्पण करने के बाद कहा कि आज मुझे संत रविदास जी की नई प्रतिमा के लोकार्पण का सौभाग्य मिला है. संत रविदास म्यूजियम की आधारशिला भी आज रखी है. मैं आप सभी को इन विकास कार्यों की बहुत-बहुत बधाई देता हूं. कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी के अलावा यूपी के  मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी मौजूद रहे.

लोग जातपात के फेर में उलझे और उलझाते रहते हैं

शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीर गोवर्धनपुर स्थित श्री गुरु रविदास जन्मस्थली मंदिर में दर्शन-पूजन के उपरांत गुरु के 647वें प्रकाशपर्व समारोह को संबोधित करते हुए क्‍ळज्ञ थ्‍क्‍ संत रविदास कहते हैं, ‘जात पात के फेर मंहि, उरझि रहइ सब लोग. मानुषता कूं खात हइ, रैदास जात कर रोग.’ यानी ज्यादातर लोग जातपात के फेर में उलझे और उलझाते रहते हैं. यह रोग मानवता का नुकसान करता है. संतों की वाणी हमें रास्ता भी दिखाती है और सावधान भी करती है. देश को जाति के नाम पर उकसाने और लड़ाने में भरोसा रखने वाले इंडी गठबंधन के लोग दलितों वंचितों के लिए हर योजना का विरोध करते हैं और जाति के नाम पर अपने परिवार के स्वार्थ के लिए राजनीति करते हैं.

संत रविदास ने कमजोर भारत को दी नई ऊर्जा: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि “भारत का इतिहास रहा है, जब भी देश को जरूरत हुई है तो कोई न कोई संत, ऋषि, महान विभूति भारत में जन्म लेते हैं. संत रविदास जी तो उस भ​क्ति आंदोलन के महान संत थे, जिन्होंने कमजोर और विभाजित हो चुके भारत को नई ऊर्जा दी. रविदास जी ने समाज को आजादी का महत्व भी बताया था और सामाजिक विभाजन को भी पाटने का काम किया. उन्‍होंने ऊंच नीच, छुआछूत, भेदभाव… इस सबके खिलाफ आवाज उठाई.

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