मौजें डुबो देती तो सुकून हो जाता…श्री राममय कवि सम्मेलन में कवियों ने बांधी समां

Ghazipur: श्री राममय कवि सम्मेलन गाजीपुर जिलांतर्गत सिद्धेश्वर कालोनी, लंका के जिला पत्रकार समिति हाल में “मिशन जामवंत से हनुमान जी” एवं अखिल भारतीय लेखक कवि ‌कलाकार परिषद के संयुक्त तत्वावधान में श्री राम मय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. कवि सम्मेलन ‌का शुभारंभ माधुरी ‘मधु’ के वाणी वंदना से हुआ. तत्पश्चात् संजय पांडे ‘सरस’की कविता- हजार करवटें लेता रहा लेकिन मना हूं मैं यहां अंधेरों में रोशनी की तरह. तालियां बटोरी. गीतकार हरिशंकर पांडेय ने -तरक्की के सोपान चढ़ तो रहे इस तरक्की में अब लापता हैं पिता. सुनाकर खूब तालियां अर्जित की. ख्यातिप्राप्त प्रबन्धकार कामेश्वर द्विवेदी की कविता-वाणी में सुधा की धार भीतर भरा है विष चेहरे पै चेहरा लगा के नर छलता.

काफी प्रशंसित रही. अरुण पांडेय ‘गुरु जी’- मिलन होना ना हो पर प्यार का तेरे चूनर ओढ़ लिया मैंने. श्रोताओं द्वारा खूब सराही गई. ओज के माने जाने कवि दिनेश चन्द्र शर्मा ने -मौजें डुबो देती तो सुकून हो जाता, किनारों ने डुबोया है, हमें इसका गम है. सुनाकर श्रोताओं को सोचने के लिए मजबूर कर दिया. डॉ. श्रीकान्त पाण्डेय, डॉ. रणविजय सिंह, दयाशंकर गुप्त, ओमनारायण प्रधान, कुंजबिहारी राय आदि गणमान्य श्रोताओं की गरिमामयी उपस्थिति रही. मुख्य अतिथि डॉ. प्रमोद वाचस्पति ‘सलिल’, संचालक इन्द्रजीत तिवारी ‘निर्भीक’ एवं अध्यक्षता अभिमन्यु पाण्डेय ने किया. अन्त में संयोजक सूर्यकुमार द्वारा आभार व्यक्त किया गया.

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