डिजिटल लाइब्रेरी में बार कोड से खुलेगा कबीर से लेकर निराला तक का हिंदी काव्य संसार

प्रयागराज। हिंदुस्तानी एकेडमी का 94 साल पुराना पुस्तकालय डिजिटल होगा। इस पुस्तकालय में संजोई गई हिंदी की पुस्तकों के डिजिटलाइजेशन का काम शुरू कर दिया गया है। इसमें भक्तिकालीन, रीतिकालीन कवियों के महाकाव्य भी शामिल हैं। डिजिटलाइजेशन के साथ ही इस पुस्तकालय की किताबें बार कोड के जरिए कंप्यूटर स्क्रीन पर एक क्लिक में खुलेंगी। शोधार्थियों को किताबें पेन ड्राइव में डाउनलोड कर मुफ्त में घर ले जाने की सुविधा मिलेगी। संगमनगगरी में हिंदी के विकास और संवर्धन के लिए इस एकेडमी की स्थापना 1927 में की गई थी। प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के नारे को साकार करने के लिए हिंदुस्तानी एकेडमी ने डिजिटल लाइब्रेरी की योजना बनाई है। पुस्तकों के डिजिटलाइजेशन की जिम्मेदारी यूपी डेस्को को दी गई है। डेस्को ने डिजिट्रोनिक्स की मदद से काम शुरू कर दिया है। इस वर्ष के अंत तक इस पुस्तकालय की कुल 23 हजार से अधिक किताबों को डिजिटल प्लेटफार्म पर लाने की योजना है, ताकि दुर्लभ और अप्रकाशित हो चुके संस्करणों को हमेशा के लिए संरक्षित किया जा सके। फिलहाल नौ हजार किताबों और 10.16 लाख पृष्ठों को डिजिटल किया जा चुका है। जिन किताबों को अब तक डिजिटल कराया जा चुका है, उनमें कबीर का साखी संग्रह, बीजक, अखरावती, अनुराग सागर, भजनमाला, चार खंडों में शब्दावली शामिल हैं। इनके अलावा पद्माकर रचित जगद्विनोद, जगत विनोद, पद्मभरण अलंकार, प्रबोध पचासा, राम रसायन अयोध्याकांड, राम रसायन बालकांड और हिम्मत बहादुर बिरदावल को भी डिजिटल किया जा चुका है।

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