प्रभु की प्रसन्नता के लिए किए गए व्यावहारिक कार्य भी है प्रभु की भक्ति: दिव्‍य मोरारी बापू    

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भगवान के भक्त बनो- प्रभु से मिलने की तीव्र आतुरता जिसके अन्तर में पैदा होती है, वही भगवान का भक्त है. भक्ति भाव की पराकाष्ठा में अपना नाम और रूप सम्पूर्ण रूप से विस्मृत हो जाता है. उसके मन में तो ‘ मैं और मेरे भगवान’ –  यही भावना होती है. ऐसा दिव्य भाव जब जागृत होता है, तभी अनोखे आनन्द समाधि का अनुभव होता है.

प्रभु से मिलने की तीव्र आतुरता का भक्ति-भाव शायद पूर्ण रूप से जागृत न हो सके, फिर भी प्रभु के मार्ग में धीरे-धीरे आगे बढ़ते जाओ. सतत रूप से किसी भी प्रकार की साधना-भक्ति करते जाओ, धीरे-धीरे संयम और भक्ति बढ़ाते जाओ, तो आपसे मिलने के लिए स्वयं परमात्मा सामने से दौड़े चले आयेंगे.

प्रभु से मिलने के लिए दौड़ने वाला नहीं, अपितु जिससे मिलने के लिए स्वयं परमात्मा सामने दौड़कर आयें – वही सबसे सौभाग्यशाली भक्त है.

प्रभु की प्रसन्नता के लिये, किये गये व्यावहारिक कार्य भी, प्रभु की भक्ति ही है.सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

इसे भी पढें:- Shardiya Navratri: नवरात्र के 9वें दिन ऐसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, समस्त मनोकामनाएं होगी पूर्ण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *